सारणः बिहार के नामचीन लोक कलाकार औरभिखारी ठाकुरके शिष्य पद्मश्री रामचंद्र मांझी का बुधवार को आईजीआईएमएस पटना में निधन हो गया. वह मूल रूप से सारण जिले के नगरा के तुजारपुर के रहने वाले थे. भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर (Shakespeare of Bhojpuri Bhikhari Thakur) के लौंडा नाच मंडली के अंतिम स्तंभ के रूप में जाने जाते थे. उनकी उम्र लगभग 97 साल थी. उन्हें 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था.
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चेस्ट में इन्फेक्शन समेत कई परेशानियां थीःसंबंधियों ने बताया कि उनकी तबीयत बिगड़ने पर पहले उनका छपरा में इलाज कराया गया. इसके बाद जब उनके परिजनों ने इसकी सूचना कला संस्कृति मंत्री जितेंद्र राय को दी. तब उन्होंने आईजीआईएमएस पटना में उनके इलाज के लिए तत्काल व्यवस्था की. फिर उन्हें वहां भर्ती किया गया. उन्हें चेस्ट में इन्फेक्शन समेत कई और परेशानियां थी. बुधवार की रात लगभग 9:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. 97 वर्षीय रामचंद्र मांझी बहुत ही शांत और मृदुभाषी स्वभाव के थे और गंवई संस्कृति से ताल्लुक रखते थे. तुजारपुर में उनके गांव के चौराहे पर हमेशा मजलिस लगी रहती थी.
ढह गया भिखारी ठाकुर शैली का अंतिम स्तम्भ:भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर को याद करके एक बार उन्होंने ईटीवी भारत से बातची में कहा था कि जो हमारे गुरु भिखारी ठाकुर ने कहा आज समाज में वह सब हो रहा है. इससे बचने के लिए उन्होंने काफी पहले अपने नाटक के माध्यम से आगाह किया था. भिखारी ठाकुर के साथ अपने संस्मरण से जुड़े यादों में उन्होंने कहा था कि एक बार भिखारी ठाकुर ने कहा था कि, 'जब हम ना रहब तो लोग हमरा के याद करी'. आज भिखारी ठाकुर के अनन्य शिष्य पदम श्री रामचंद्र माझी के निधन से भिखारी ठाकुर शैली का अंतिम स्तम्भ भी ढह गया. उनके निधन से कला जगत में एक बड़ी शून्यता पैदा हो गई है. जिसे भरा नहीं जा सकता है.
पद्मश्री सहित लाइफटाईम आचिवमेंट पुरस्कार से सम्मानित थेः भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के लौंडा नाच मंडली के अंतिम स्तंभ के रूप में चर्चित रामचंद्र मांझी अपने समय के एक उम्दा कलाकार थे. वह भिखारी ठाकुर नाच मंडली के सक्रिय सदस्य थे. 1925 में सारण जिले के नगरा के तुजारपुर में इनका जन्म हुआ था. रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड 2017 से नवाजा जा चुका है. इसके साथ ही उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. उन्हें 2021में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था.
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