सारण: आज भारत के प्रथम राष्ट्रपति (First President of India) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 137वीं जयंती (137th Birth Anniversary of Dr Rajendra Prasad) है. इस मौके पर पर देश उन्हें याद कर रहा है. इस मौके पर छपरा समेत कई जगहों पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. सबसे मुख्य कार्यक्रम शहर के राजेन्द्र चौक पर आयोजित किया गया. जहां सारण डीएम-एसपी ने राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
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सबसे पहले राजेन्द्र स्मारक भवन पर सबसे पहले राष्ट्र ध्वजारोहण किया गया और तिरंगे को सलामी दी गयी. उसके बाद जिले के वरीय अधिकारियों और राजेंद्र स्मारक समिति के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद सिंह, पूर्व सारण जिला परिषद अध्यक्ष बैजनाथ प्रसाद विकल, वरीय कांग्रेस नेता जयराम सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. वहीं पहली बार इस कार्यक्रम में भाग ले रहे सारण के नए जिलाधिकारी राजेश मीणा ने सबसे पहले राजेंद्र स्मारक समिति के सबसे बुजुर्ग सदस्य और अध्यक्ष कामेश्वर सिंह विद्वान से प्रतिमा स्थल की पूरी जानकारी ली.
वहीं बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजेन्द्र चौक पर राजभवन के सामने डॉ. राजेंद्र प्रसाद (CM Nitish Kumar Pays Tribute To Dr Rajendra Prasad) के समाधि स्थल पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने भी श्रद्धांजलि दी. इस दौरान पटना जिलाधिकारी और एसपी के साथ-साथ बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों ने राजेंद्र बाबू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
राजेन्द्र बाबू का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सिवान) के जीरादेई नामक गांव में हुआ था. राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा था. राजेन्द्र प्रसाद के पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे और उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं. राजेन्द्र बाबू की वेशभूषा बड़ी सरल थी. उनके चेहरे-मोहरे को देखकर पता ही नहीं लगता था कि वे इतने प्रतिभासम्पन्न और उच्च व्यक्तित्ववाले सज्जन हैं. देखने में वे सामान्य किसान जैसे लगते थे.