सारण(छपरा) : भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के शिष्य रहे पद्मश्री राम चंद्र मांझी (disciple of Bhikhari Thakur Padmashree Ramchandra Manjhi) का गुरुवार को छपरा के रिविलगंज स्थित श्मशान घाट पर सरयू नदी के किनारे अंतिम संस्कार (Padmashree Ramchandra Manjhi cremated) कर दिया गया. मुखाग्नि उनके बड़े बेटे शंभू मांझी ने दी.
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97 साल की उम्र में कल हुआ था निधन : पद्मश्री रामचंद्र मांझी अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके चार बेटे,दो बेटियां और सात पोते-पोतिया हैं.रामचंद्र मांझी की बीती रात आईजीआईएमएस में गंभीर बीमारी के कारण 97 साल की उम्र में निधन हो गया था.अहले सुबह उनका शव छपरा के नगरा प्रखंड के तुजारपुर स्थित उनके आवास पहुंचा. उसके बाद स्थानीय प्रशासन के लोग उनका अंतिम दर्शन करने के लिए वहां पहुंचे और उन्हें सलामी दी गई.
भिखारी ठाकुर कला मंडली के थे अंतिम जीवित सदस्य :इस अवसर पर मरहौरा एसडीओ भी वहां पहुंचे और श्रद्धा सुमन अर्पित किया. अंतिम विदाई देने वालों में गरखा के पूर्व विधायक ज्ञानचंद मांझी, भाजपा के जिला अध्यक्ष राम दयाल शर्मा सहित कई नेता शामिल थे. उनके निधन से सारण के कला जगत में एक शून्यता आ गई है. वह भिखारी ठाकुर कला मंडली के अंतिम जीवित सदस्य थे.उन्हें राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था. स्वर्गीय रामचंद्र मांझी गवई संस्कृति के रूप में विख्यात पारंपरिक लौंडा नाच के एक आधार स्तंभ थे. उनके निधन के बाद इस कला को ग्रहण लग गया है. और अब इस कला को आगे बढ़ाने वाले कलाकार नहीं बचे हैं.
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