सारण: केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा कदम उठाते हुए देश के कई बड़े बैंकों का आपस में करने का विलय का ऐलान किया है. विभिन्न बैंक यूनियन के कर्मचारियों ने इस निर्णय को तानाशाही करार देते हुए विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. इस क्रम में छपरा में भी पंजाब नेशनल बैंक के सभी बैंककर्मी हाफ आवर के बाद इकठ्ठा होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
सरकार पर बैंकों को बेचने के प्रयास का आरोप लगाया
आक्रोशित बैंक कर्मियों ने सरकार के 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बनाने का विरोध किया. विरोध कर रहे कर्मचारियों ने सरकार पर वित्तीय सुधार के नाम पर पब्लिक सेक्टर के बैंकों को बेचने का आरोप लगाया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारी बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसे सरकार बर्बाद करने पर तुली हुई है. उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर सरकार ने बैंकों के विलय और निजीकरण पर रोक नहीं लगाई तो सरकार को आने वाले दिनों में इसका अंजाम भुगतना होगा.
SBI से हुई थी बैंक विलय की शुरुआत
बैंक विलय की यह शुरुआत सबसे पहले एसबीआई से हुई थी. एसबीआई में उसके असोसिएट बैंकों और महिला बैंक का विलय किया गया था. इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का आपस में विलय किया गया था. अब सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक में कुछ दूसरे सरकारी बैंकों का विलय कर के चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की है.