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छपरा में मनाई गई 'भोजपुरी के शेक्सपियर' की 136वीं जयंती, DM बोले- 'उनकी रचनाओं के नाटक की ज्यादा प्रस्तुति हो'

Shakespeare of Bhojpuri Bhikhari Thakur: भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर की आज 136वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. सारण में उनकी प्रतिमा पर सारण के डीएम अमन समीर ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

सारण में मनाई गई भिखारी ठाकुर की जयंती
सारण में मनाई गई भिखारी ठाकुर की जयंती

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 18, 2023, 5:17 PM IST

सारण में मनाई गई भिखारी ठाकुर की जयंती

सारण:भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की 136वीं जयंतीहै. आज उनके जन्म दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इसके साथ ही छपरा शहर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित भिखारी ठाकुर चौक पर लगी उनकी प्रतिमा पर सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया. सारण के डीएम अमन समीर ने अपने संबोधन में कहा कि भिखारी ठाकुर प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने अपने नाटक गीत और रचनाओं में जो बातें कही है. वे आज सच साबित हो रही है.

सारण में मनाई गई भिखारी ठाकुर की जयंती:उन्होंने कहा कि उनके कई नाटक और उनकी कालजई रचना आज भी लोगों के जुबान पर हैं. उन्होंने कहा कि उनके जो सृजनात्मक और रचनात्मक लेख हैं. उसे पर अनुसरण करके उन्हें आगे बढ़ाना है और उनकी रचनाओं के नाटक की ज्यादा से ज्यादा प्रस्तुति हो. इससे भोजपुरी भाषा का भी विकास होगा और भोजपुरी भाषा के विकास में अहम योगदान होगा. इस अवसर पर छपरा की कार्यकारिणी मेयर रागिनी कुमारी, विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव, डॉक्टर प्रोफेसर लाल बाबू यादव, छपरा के विधायक डॉ सी एन गुप्ता और अन्य गणमान्य लोगों ने भिखारी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हे श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

"भोजपुरी भाषा की जो गरिमा है उसे बचाकर रखने के लिए हमें भोजपुरी के ज्यादा से ज्यादा नाटक और कहानियों का प्रदर्शन करना होगा. हम बराबर चाहेंगे कि भोजपुरी भाषा का विकास हो और इसमें भिखारी ठाकुर की रचनाओं की ज्यादा से ज्यादा प्रस्तुति की जाए.अभी सोनपुर मेला चल रहा है और हम यह प्रयास करेंगे कि सोनपुर मेला के रंगमंच से भिखारी ठाकुर की रचनाओं की प्रस्तुति हो."-अमन समीर, डीएम, सारण

यहां हुआ था भोजपुरी के शेक्सपियर का जन्म: भिखारी ठाकुर का जन्म सारण जिले के कुतुबपुर दियारा में हुआ था. हालांकि वे काफी कम पढ़े लिखे थे, लेकिन उनकी शैली और बात करने का तरीका ठेठ गवई स्टाइल का था, जिससे उनकी बातें लोगों के काफी समझ में आती थी. ग्रामीण परिवेश से जुड़े होने के कारण वह लोगों में काफी लोकप्रिय थे. भिखारी ठाकुर ने जो उस समय समरस समाज की कल्पना की थी और समाज का स्वरूप कैसा होना चाहिए जिसको अपने नाटक और नौटंकी के माध्यम से चित्रित किया था, वह आज के वास्तविक जीवन में सफल होता दिखाई दे रहा है.

भिखारी ठाकुर की कलयुग प्रेम और नेटुआ नाच प्रमुख रचना है: भिखारी ठाकुर की रचनाओं की स्त्री प्रधानता होती थी, उनके नाटक की सबसे खास बात यह होती थी कि उनकी रंग मंडली में कोई भी स्त्री पात्र नहीं होते थे, बल्कि स्त्रियों की भूमिका में पुरुष अपना प्रदर्शन करते थे. प्रमुख रचनाओं में देखा जाए तो विदेशिया, बेटी बेचवा, भाई विरोध, पिया निसैल, गेबर घिचोर और गंगा स्नान, विधवा विलाप, शंका समाधान, कलयुग प्रेम, नेटुआ नाच प्रमुख है.

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