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सरकारी उदासीनता का शिकार है भक्त और भगवान की मुलाकात का ये पावन स्थल, ऐसी हैं मान्यताएं

मान्यताएं हैं कि भगवान को खोजते हुए विद्यापति इस स्थल से कुछ दूरी पर बहती गंगा के चमथा घाट तक पहुंचने में असमर्थ हो गए, तो उन्होंने मां गंगा का आह्वान किया. पुजारी के अनुसार उनके करुण बुलाहट पर गंगा ने उन्हें मोक्ष दिया और वे गंगा में समा गए.

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Published : Jan 20, 2020, 7:43 PM IST

tourist destination
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समस्तीपुर:बिहार सरकार के पर्यटन स्थल में शुमार जिले का विद्यापति धाम आज भी सरकार की उदासीनता का शिकार है. बताया जाता है कि भगवान शंकर के महान भक्त विद्यापति और उनके चाकर बने भगवान भोलेनाथ का ये संगम स्थली है, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यहां दर्शन करने आए तीर्थयात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जिला मुख्यायल से करीब 45 किलोमीटर के दूरी पर विद्यापतिनगर ब्लॉक के केंद्र में अवस्थित भगवान भोलेनाथ का ये विशाल मंदिर है. महाकवि कोकिल भक्त विद्यापति और उगना रूपी नौकर भगवान भोलेनाथ की संगमस्थली माने जाने के कारण इस धाम की अनेकों मान्यता है.

भगवान भोलेनाथ

नहीं हो सका अभी तक विकसित
प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पर्यटन स्थल बने हुए हैं, जिनमें सैलानी, सैलीब्रिटी, खिलाड़ी और बड़े-बड़े नेता आते हैं. वैसे भी प्रत्येक जिले में पर्यटक स्थल बनाने का प्रावधान भी है, लेकिन इसे समस्तीपुर के लोगों का दुर्भाग्य कहें या फिर सरकार की लापरवाही कि यहां पर आज ये पर्यटन स्थल विकसित नहीं हो सका.

पेश है रिपोर्ट

'मां गंगा का किया आह्वान'
इस धाम को लेकर ये भी मान्यताएं हैं कि भगवान को खोजते हुए विद्यापति इस स्थल से कुछ दूरी पर बहती गंगा के चमथा घाट तक पहुंचने में असमर्थ हो गए, तो उन्होंने मां गंगा का आह्वान किया. पुजारी के अनुसार उनके करुण बुलाहट पर गंगा ने उन्हें मोक्ष दिया और वे गंगा में समा गए.

भगवान भोलेनाथ के थे महान भक्त
बता दें कि मधुबनी जिले के विस्फी निवासी महाकवि विद्यापति भगवान भोलेनाथ के महान भक्त थे. विद्यापति के इस भक्तिभाव से प्रसन्न होकर खुद भगवान भोलेनाथ उनके यहां नौकर के रूप में चाकरी करते थे, लेकिन इसका रहस्य उजागर होते ही भगवान विद्यापति के यहां से गायब हो गए, जिन्हें खोजते हुए विद्यापति ने इसी स्थल पर अपने प्राण को त्याग दिया था.

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