समस्तीपुर: टूटकर बिखरने वाले की नैया यूं ही पार नहीं होती और मेहनत करने वाले की कभी हार नहीं होती. समस्तीपुर जिले के होनहार कुंदन कुमार पर यह पंक्तिया सटीक बैठती हैं. कुंदन रंगों को देख नहीं पाते हैं पर उनकी बनाई रंगीन कलाकृतियों को देख लोग दांतो तले उंगली दबा लेते हैं.
बचपन से ही कुंदन को कलर ब्लाइंडनेस है, बावजूद इसके आज वो यूथ मोटिवेटर बन चुके हैं. अपने कलर ब्लाइंडनेस को दरकिनार कर कुंदन मूर्ति और चित्र में रंग भरने में पारंगत हो चुके हैं. इसके लिए उनको कई सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.
टीचर ने दिया साथ
आज जो रंग बिरंगी कलाकृतियां कुंदन कागज और कार्ड बोर्ड पर उकेर रहे हैं, उसका श्रेय वे अपनी टीचर और बहन को देते हैं. बचपन से ही पेंटिग का शौक रखने वाले कुंदन कुमार ने स्नातक के बाद एमबीए किया. आर्टस में गहरी रूचि थी पर सामने बड़ी चुनौती थी कलर ब्लाइंडनेस. रंगों में फेरबदल के चलते कई बार उनका मजाक बनाया गया. मगर ऐसे हालातों के बावजूद उन्होंने आर्टिस्ट बनने का सपना नहीं छोड़ा.
कलाकृतियों के माध्यम से देते हैै संदेश नागपुर में पढ़ाई के दौरान कुंदन ने अपने एचओडी मैडम के कहने पर पेंटिंगकॉम्पिटिशनमें भाग लिया था. अब उनके सामने पेंटिंग में रंग कैसे भरा जाए, ये समस्या थी. इस बारे में कुंदन बताते हैं कि मेरी बहन मुझसे कहा कि रंग भरने के लिए मैं डिब्बे से पढ़कर तुम्हें दूंगी और तुम रंग भरो इस तरीके से मैफर्स्ट रनरअप रहा.
रंग बिरंगी कलाकृतियों से जीत रहे लोगों का दिल लोकगीतों पर बनाई पेंटिंग
बिहार आने के बाद कुंदन ने प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीतों पर मिथिला पेंटिंग बनाई. इसके साथ ही शारदा सिन्हा को उनकी ही मूर्ति भेंट स्वरूप देकर अपना बरसों पुराना सपना पूरा किया. मजबूरी और तकलीफों को झेलने के बाद कुंदन आज इस मुकाम पर जहां वो आज पहचान के मोहताज नहीं हैं, बल्कि उनकी बनाई कलाकृतियां बोलती है.