सहरसाः बिहार में बाढ़ हर साल आती है. प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद लोग दाने दाने के लिए तरसते रहते हैं. यह हाल सहरसा (flood in Saharsa ) जिले के महिषी प्रखंड की करीब आधे दर्जन पंचायत की है. इस गांव में कोसी नदी का पानी प्रवेश कर गया है. लोगों के पास रहने खाने की समस्या है, लेकिन अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं की गई है.
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कोसी नदी का पानी घुसने कई घर डूबेःमहिषी प्रखंड की भेलाही, घुघयपुर, वीरगांव, बघवा, मनोवर आदि पंचायत बाढ़ प्रभावित है. कोसी नदी का पानी घुसने से लोगों के घर घर में चूल्हा बंद है. लोग दाने दाने को मोहताज हैं. मंगलवार को स्थानीय जनप्रतिनिधि ने नाव के माध्यम से पंचायत में पहुंचकर लोगों के बीच राहत सामग्री वितरित की, लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा अभी तक कोई मुक्कमल व्यवस्था नहीं की गई है.
"अभी तीन से चार गांव भ्रमण कर चुके हैं. लगभग 50 से 60 घरों में बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री वितरित की गई. खाने पीने के समान में चुरा, शक्कड़, मैगी, दालमोट, बिस्किट, मोमबत्ती, और सलाई दिए गए हैं."-गौतम सिंह, स्थानीय जनप्रतिनिधि
प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहींः उप मुखिया मदन राय की माने तो 100 घरों में पानी में घुस गया. 50 से 60 घरों में राहत सामग्री बांटी गई है. आगे भी देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने ये भी कहा कि प्रशासन और सरकार के द्वारा कोई भी व्यवस्था नहीं कि गयी है. अभी तक तो सब फेल है. आगे क्या होगा इसका पता नहीं? लेकिन निजी फंड से जनप्रतिनिधि लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं.
"हमलोग निजी फंड से लोगों के बीच राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. करीब 100 घरों में कोसी का पानी घुसा हुआ है."-मदन राय, पूर्व मुखिया
पूर्व विधायक ने लिया जायजाः दूसरी ओर पूर्व विधायक किशोर कुमार ने भी बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा किया. हालांकि उन्होंने कोई राहत सामग्री वितरित नहीं की, लेकिन लोगों हर संभव मदद करने का भरोसा जरूर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की समस्या सरकार तक पहुंचायी जाएगी. किशोर कुमार ने वीरगांव पंचायत के सोहरवा, चतरिया अमाही, वीरगांव के बाढ़ प्रभावित लोगों से मिल कर उनकी समस्याओं से अवगत हुए.
'प्रशासन सिर्फ खानापूर्ती में लगी': किशोर कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कोई मेडिकल टीम नहीं आती है. दवाई के अभाव में बीमार आदमी अपना इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. मवेशी को चारा का अभाव है. किशोर ने कहा कि अधिकारी 17 नंबर रोड से नीचे उतरकर गांव जाकर देखे तो हालात का पता चल सकेगा. यहां के लोग काफी कष्ट में रह रहे हैं. प्रशासन सिर्फ खानापूर्ती में लगे हैं. उन्होंंने प्रशासन से राहत शिविर लगाने की मांग की है.
"जिला प्रशासन लोगों को देखने के लिए नहीं आ रहा है. अधिकारी गांव का दौरा कर देखेंगे तो पता चलेगा कि लोग कितनी समस्या में हैं. लोगों की समस्या को सरकार तक पहुंचायी जाएगी. हर संभव मदद किया जाएगा. सरकार से मांग है कि जीआर से 6000 हजार रुपया सहायता व जिसका घर गिरा उसे 10000 रुपए गिए जाए."-किशोर कुमार, पूर्व विधायक
सरकार पर निशाना साधाःदूसरी ओर पूर्व विधायक ने बाढ़ के बहाने बिहार सरकार पर निशाना साधा. कहा कि सरकार बाढ़ पीड़ित की चिंता छोड़ INDIA गठबंधन को मज़बूत करने में जुटी है. स्वयं हवाई सर्वेक्षन कर अधिकारी को राहत के लिए निर्देशित करते हैं, लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है. नीतीश कुमार बाढ़ पीड़ित को छोड़कर प्रधानमंत्री बनने का ताना बाना बुन रहे हैं. उन्होंने यह कहा कि वे खुद लोगों के लिए हर संभव मदद करेंगे.
"नीतीश जी को बाढ़ पीड़ित से कोई मतलब नहीं है. बड़े भाई लालू प्रसाद यादव तथा भतीजा तेजस्वी यादव जी मिलकर प्रधानमंत्री बनने का ताना बाना बुनने के हसीन सपने के लिये मुम्बई जाने की तैयारी में है. बांध के अंदर लाखों की आबादी है. बाढ़ से पूर्णतः प्रभावित है. सरकार उसे राहत क्यों नहीं देती है? बाढ़ पीड़ितों का मैं हर संभव मदद करूंगा."-किशोर कुमार, पूर्व विधायक