बिहार

bihar

ETV Bharat / state

कुष्ठ अब लाइलाज नहीं, रोगियों को 'स्व देखभाल' का मिलेगा प्रशिक्षण - Saharsa District Leprosy Prevention Office

अब कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं है. कुष्ठ के सही समय पर पहचान से इसका इलाज संभव है. रोग की पहचान, उपचार और रोग के बारे में जानकारी रोगियों को दिया जायेगा. पढ़ें पूरी खबर...

Self Care Training
Self Care Training

By

Published : Oct 7, 2021, 4:37 PM IST

सहरसा: कुष्ठ निवारण कार्यक्रम (Leprosy Prevention Program) के तहत कुष्ठ रोगियों को 'स्व देखभाल' के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा. इसके लिए सहरसा जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय की ओर से प्रशिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण शिविर का आयोजन स्वास्थ्य विभाग (Health Department) और एनआरएल फाउण्डेशन द्वारा किया गया.

इन्हें भी पढ़ें-BPSC 65वीं का फाइनल रिजल्ट जारी, गौरव सिंह बने टॉपर

सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने बताया कुष्ठ अब लाइलाज नहीं रह गया है. इसके आरंभिक लक्षणों को देखते हुए समय पर चिकित्सा आरंभ कर दिये जाने से इससे बचा जा सकता है. लेकिन कुष्ठ रोगियों को समाज से मिले तिरस्कार के कारण अधिकांश कुष्ठ रोगी इसे बताने या चिकित्सा कराने से बचना चाहते हैं. समय पर उपचार नहीं होने के कारण कुष्ठ रोग गंभीर हो जाता है. गंभीर अवस्था होने पर यह रोगी को विकलांगता की स्थिति में पहुंचा देता है.

इन्हें भी पढ़ें- फर्राटेदार ENGLISH बोलती हैं यह मुखिया, हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़कर पंचायत को दी प्राथमिकता

सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने आगे बताया कि कुष्ठ एक रोग है, जो कीटाणुओं से होता है. ये कीटाणु जब हमारे शरीर में आते हैं तो मुख्य रूप से ये मरीज की त्वचा एवं तंत्रिका को प्रभावित करते हैं, जिससे त्वचा में दाग, सुन्नपन आ जाता है. इस हिस्सों पर पसीना नहीं आता है एवं उस स्थान के बाल झड़ जाते हैं. ऐसा कीटाणुओं द्वारा तंत्रिका को क्षतिग्रस्त कर देने से होता है. उन्होंने बताया इस प्रकार के लक्षण आगे चलकर हाथ की हथेलियों, पांव के तलवों में सूनापन का कारण बनाता है. इससे काम करने की क्षमता प्रभावित होती है और धीरे-धीरे हाथ एवं पैरों में सिकुड़न आने लगाती है. इस प्रकार इसके और भी कई प्रकार के लक्षण कुष्ठ रोगियों में आने वाले समय के साथ आने लगते हैं, जो आगे चलकर विकृति में परिणत हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में रोगियों के लिए 'स्व देखभाल' की आवश्यकता पड़ती हैं.

रोगियों को कुष्ठ रोग से संबंधित अवस्था एवं इसके विकृति से उत्पन्न समस्याओं के बारे में प्रशिक्षित किये जाने से रोगियों के लिए स्वयं का देखभाल करना आसान हो जाएगा. सिविल सर्जन डा. अवधेश ने कहा कुष्ठ रोगियों को दिया जाने वाले 'स्व देखभाल' का प्रशिक्षण उनके लिए काफी लाभदायक है. जिसका उपयोग कर कुष्ठ रोगी विकृतियों से बच पायेंगे. इस मौके पर एनआरएल के प्रशिक्षक डा. शंभुनाथ तिवारी, डा. चन्द्रमणि, सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप, जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय के नाभिकीय दल सदस्य बटोही कुमार झा सहित कई लोग मौजूद थे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details