सासाराम: दुर्गावती जलाशय परियोजना एक ऐसी आग है जिस पर 45 सालों से राजनीति की रोटी सेंकी जा रही है. 1975 में सासाराम के तत्कालीन सांसद सह केन्द्रीय मंत्री बाबू जगजीवन राम ने दुर्गावती जलाशय परियोजना का तानाबाना बुना था. कैमूर के करमचट में जलाशय और दोनों तरफ नहरों के निर्माण की आधारशिला रखी.
हर चुनाव में दुर्गावती जलाशय परियोजना चुनावी मुद्दा रही. निर्माण पूरा कराने का सभी दल के नेताओं ने वादा किया. किसी ने बाबूजी का सपना बताकर पूरा कराने की बात कही तो किसी ने परियोजना में आई बाधाओं को दूर कराकर काम शुरू कराने का दावा किया. आज एक बार फिर पीएम मोदी ने सासाराम की चुनावी रैली में मंच से दुर्गावती जलाशय परियोजना का जिक्र किया. आइये जानते है कि आखिर क्या है ये परियोजना, जिसे किसान चुनाव बीत जाने के बाद परियोजना पूरी होने की बाट जोहते रहते है.
क्या है दुर्गावती जलाशय परियोजना
इस परियोजना से राज्य में करीब 33 हजार हेक्टेयर खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा. इस परियोजना को राज्य सरकार ने 1961 में मंजूरी दी थी. हालांकि, इस पर काम अगले 15 सालों तक शुरू नहीं हो सका. 1976 में काम शुरू तो हुआ, लेकिन रफ्तार काफी सुस्त रही. इस वजह से 28 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति वाली इस परियोजना को पूरा करने में राज्य सरकार को 800 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि खर्च करना पड़ा है.
हालांकि, सूखे की वजह से इसमें बीच में थोड़ी रुकावट जरूर सामने आई. हमने अगस्त में ही इसके उद्घाटन का फैसला लिया था, लेकिन उस वक्त सूखे की वजह से जलाशय में पानी का स्तर काफी कम था. हालांकि, अब यह परियोजना शुरू होने के लिए पूरी तरह तैयार है.
2020-21 के अंत तक पूरी होगी योजना : संजय झा
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इसी साल बजटीय मांग पर चर्चा के दौरान कहा था कि, रोहतास और कैमूर जिला की 'दुर्गावती जलाशय परियोजना' 2020-21 के अंत तक पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा था कि, दुर्गावती जलाशय परियोजना की परिकल्पित सिंचाई क्षमता 39610 हेक्टेयर है.
दरअसल, इस परियोजना की आधारशिला 1976 में पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम द्वारा रखी गई थी लेकिन विभिन्न कारणों से यह अधर में लटकी रही और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर इस मृतप्राय परियोजना को पुनर्जीवित किया गया. इस परियोजना से राज्य सरकार को करीब 33,000 हेक्टेयर के इलाके में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. इससे सबसे ज्यादा फायदा राज्य के अरवल, कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद जिलों को मिलेगा.