रोहतास:प्रदेश में राजनेता और अधिकारी लगातार विकास की दुहाई देते रहते हैं. लेकिन शहरी इलाकों के विकास के प्रति सरकार के नुमाइंदे और खासकर जनप्रतिनिधि कितने संजीदा है. यह जिला मुख्यालय सासाराम के नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 35 में बने 'चचरी के पुल' को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है.
रोहतास: विकास के दावों का सच, चचरी पुल के सहारे कट रही लोगों की जिंदगी - bamboo bridge in rohtas
सासाराम के नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 35 में 40 ऐसे घर हैं, जहां पूरा का पूरा मोहल्ला 'चचरी के पुल' से गुजर कर आता-जाता है. यह चचरी पुल करीब 500 से 600 मीटर लंबा है. इसी के सहारे लोग अपने-अपने घरों तक जाते हैं.
500 से 600 मीटर लंबा बना हुआ है चचरी पुल
दरअसल, सासाराम के नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 35 में 40 ऐसे घर हैं, जहां पूरा का पूरा मोहल्ला 'चचरी के पुल' से गुजर कर आता-जाता है. यह चचरी पूल करीब 500 से 600 मीटर लंबा है. इस बांस के पुल से झूल कर लोग अपने-अपने घरों तक पहुंचे हैं.
लोगों की गुजरती है जिंदगी
इस चचरी के पुल का स्थिति यह है कि हर साल अपने खर्चे से लोग इसकी मरम्मत करवाते हैं. लगभग डेढ़ लाख की लागत से मोहल्ले के लोगों ने इस चचरी के पुल का निर्माण करवाया है. इसी से होकर उन लोगों की जिंदगी गुजरती है. इलाके के लोग अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाते-लगाते थक हार चुके हैं. लोग अब तमाम तरह की आशाएं और उम्मीद छोड़ चुके हैं. बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि इलाके में कब विकास की बयार बहती है और लोगों को अदद पुल नसीब हो पाता है.