बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Union Budget 2023 : बजट को लेकर रोहतास के लोगों की उम्मीदें, कहा- ऐसा हो बजट कि रोजगार को मिले बढ़ावा - कर्ज में डूबे हैं मिल संचालक

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानी 1 फरवरी को पूरे देश के लिए बजट पेश करने वाली हैं. एसे में बिहार के रोहतास जिला के नोखा के लोगों की बड़ी उम्मीद हैं, इनका कहना है कि सरकार बजट में कोई ऐसी घोषणा करे जिससे उनके बंद पड़े मिल दोबारा चल पड़ें.

बजट को लेकर रोहतास के लोगों की उम्मीदें
बजट को लेकर रोहतास के लोगों की उम्मीदें

By

Published : Jan 31, 2023, 2:30 PM IST

बजट को लेकर रोहतास के लोगों की उम्मीदें

रोहतासः बिहार के रोहतास जिले को धान का कटोराकहा जाता है. एक समय बिहार में सबसे अधिक राइस मिल नोखा में हुआ करती थी. लेकिन आज यह पूरा उद्योग लगभग बंदी के कगार पर है. पांच-छह साल पहले तक यहां कुल 26 रजिस्टर्ड राइस मिल संचालित था. लोग बताते हैं कि आज स्थिति यह है कि मात्र 3 राइस मिल ही किसी तरह संचालित हैं. उनकी भी हालत खस्ताहाल है. कल आने वाले केंद्रीय बजट से यहां के लोगों को काफी उम्मीदें हैं

ये भी पढ़ेंःRohtas News: मजदूर संगठनों ने किया श्रम कार्यालय का घेराव, तालाबंदी की दी चेतावनी

कर्ज में डूबे हैं मिल संचालक ःदरअसल मिल के संचालक कर्ज के बोझ से इतना दब गए कि उन लोगों को अपना अपना कारोबार बंद करना पड़ा. सैकड़ों कामगार बेरोजगार हो गए. ऐसे में ज्यादातर कामगार काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर गए. इलाका धान की खेती के लिए विख्यात है और यहां के राइस मिल से उत्पादन होने वाले चावल दूसरे प्रांतों में भेजे जाते थे लेकिन बाद में सरकार की नीतियां ऐसी हुई कि राइस मिल बंद होते चले गए. राइस मिल के मालिक कर्ज में भी डूब गए.

केंद्रीय बजट से लगी उम्मीदःऐसे में अब यह लोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार के वित्त मंत्री अपने बजट में बिहार के इन बंद पड़े राइस मिलों को पुनः जागृत करने के लिए कुछ न कुछ पहल करें. ताकि राइस मिल कारोबारियों के अलावा यहां के किसानों और कामगारों को राहत मिल सके. स्थानीय दयानंद सिंहका कहना है कि- "यहां कभी काफी संख्या में राइस मिलें लगी हुई थीं, जिससे काफी लोगों को रोजगार मुहैया हो रहा था लेकिन सरकार के उदासीन रवैया के कारण अब यहां के लोग बेरोजगार हो गए हैं और पलायन को मजबूर हैं".

"30 से 50 राइस मिल था, आज मात्र तीन राइस मिल ही किसी तरह सांसे ले रही हैं. सब बंद पड़ी हैं. लोग कर्ज में इतने डूब गए कि बंद करना पड़ा. जिनको रोजगार मिल रहा था वो सब बेरोजगार हो गए और मजबूरन बाहर चले गए. बजट ऐसा हो कि यहां की बंद पड़ी मिलें दोबारा खुल सकें, लोगों को काम मिल सके. यही उम्मीद है"- मुन्ना चौधरी, स्थानीय

ABOUT THE AUTHOR

...view details