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रोहतासः बदहाल है दिनारा सदर अस्पताल, मरीजों को नहीं मिलती है बुनियादी सुविधा

रोहतास जिला मुख्यालय के दिनारा प्रखंड के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. यहां मौजूद डॉक्टरों के आने और जाने का कोई समय नहीं है. जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है.

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Published : Sep 4, 2019, 9:22 PM IST

दिनारा सदर अस्पताल

रोहतासःजिले में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. यहां जिला मुख्यालय दिनारा प्रखंड का सरकारी अस्पताल राम भरोसे चल रहा है. जहां मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर तो हैं लेकिन उनके आने और जाने का कोई समय नहीं है. यही नहीं यहां मरीजों के इलाज के लिए मुकम्मल सुविधा भी नहीं उपलब्ध है. ऐसे में यहां इलाज कराने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ईटीवी भारत की रीपोर्ट

साधारण डाक्टर करते हैं सभी इलाज
वैसे तो दिनारा प्रखंड के सरकारी अस्पताल में 6 डॉक्टरों के पद मौजूद हैं. लेकिन सरकार की लापरवाही से महज दो डॉक्टर ही पूरे प्रखंड अस्पताल को संभालने को मजबूर हैं. अस्पताल में दांत का इलाज कराने आए मरीज की जांच साधारण डाक्टर ही करते हैं. ऐसे में अस्पताल की व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है.

डॉक्टरों की मनमानी
अस्पताल में मौजूद डॉक्टर मनमाने तरीके से अस्पताल पहुंचते हैं. ईटीवी भारत की टीम जब अस्पताल पहुंची तो मैनेजर के अलावा कोई डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं थे. मामले में जब अस्पताल प्रभारी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की जाने की जानकारी हमें नहीं है और ना ही वह लिखित तौर पर अस्पताल से गए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह डॉक्टर इतने बड़े अस्पताल को किसके सहारे छोड़ कर जाते हैं?

अस्पताल की आशा

फर्श पर बैठते हैं मरीज
अस्पताल में सरकार की ओर से मरीजों के लिए सतरंगी चादर का भी इंतजाम किया गया है. लेकिन जब अस्पताल में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो इलाज कराने आए मरीज फर्श पर बैठे नजर आए. इस मामले में जब अस्पताल के आशा से बात की गई तो, उसने बताया कि अस्पताल प्रबंधक के पास चादर धोने का कोई इंतजाम नहीं है. ऐसे में सभी चादर धोबी के यहां धुलने के लिए चली गई है. जिसे धुलने में काफी वक्त लगता है.

फर्श पर बैठी इलाज कराने आई महिलाएं

सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति
बहरहाल सुविधाओं के नाम पर यहां महज खानापूर्ति की जा रही है. अस्पताल में मरीजों को पीने के लिए लगी आरओ वाटर भी कई महीनों से बंद है. लेकिन विभाग को इसकी कोई परवाह नहीं है. सवाल यह है कि जिस अस्पताल में बुखार की एक दवा तक मौजूद ना हो वहां पर इलाज कराने आए मरीजों का बेहतर इलाज कैसे संभव है ?

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