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मैट्रिक रिजल्ट: पूर्णिया में लड़कियों ने मारी बाजी, सेल्फ स्टडी और स्कूल को दिया सफलता का श्रेय

मैट्रिक परीक्षा के नतीजे घोषित होने के साथ ही बेटों को पछाड़ते हुए बेटियां आगे निकल गईं. जिले की टॉप फाइव लिस्ट में 6 लड़कियों ने बाजी मार ली है.

सफलता की कहानी, छात्राओं की जुबानी

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Published : Apr 7, 2019, 11:11 AM IST

पूर्णिया: जिले में इंटर के बाद अब मैट्रिक के रिजल्ट में भी लड़कियों ने अपना परचम लहराया है. मैट्रिक परीक्षा के नतीजे घोषित होने के साथ ही बेटों को पछाड़ते हुए बेटियां आगे निकल गईं. जिले की टॉप फाइव लिस्ट में 6 लड़कियों ने बाजी मार ली है.

शनिवार को घोषित हुए इन नतीजों की खास बात यह है कि वन टू फाइव में सभी 6 लड़कियां ही हैं. इनमें से पांच मिशनरी स्कूल उर्स लाइन कान्वेंट की हैं. गौरतलब हो कि यह स्कूल ट्यूशन की महंगी शिक्षा में यकीन नहीं रखता. सभी लड़कियों ने बगैर ट्यूशन के डिस्ट्रिक्ट टॉपर तक का सफर तय किया.

सफलता की कहानी, छात्राओं की जुबानी

यह रही टॉपर बेटियों की फेहरिश्त...
मैट्रिक की परीक्षा में जिले से अव्वल स्थान लाने के बाद अपनी उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता व अपने विद्यालय को दे रही हैं. श्रुति कुमारी कुल 500 अंकों में से 468 मार्क्स लाकर जिले को टॉप किया. वहीं, इसी स्कूल की स्मृति कुमारी 465 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. हालांकि तीसरा स्थान उत्क्रमित माध्यमिक स्कूल धमदाहा की आंचल कुमारी ने प्राप्त किया, जिन्हें कुल 500 अंकों में से 461 अंक हासिल हुए हैं.

  • वहीं, चौथे स्थान पर 460 मार्क्स के साथ उर्स लाइन कान्वेंट की दो लड़कियां मीठी व निशा भारती हैं.
  • 458 मार्क्स के साथ इसी विद्यालय में पढ़ने वाली स्नेहा भारती ने मैट्रिक की परीक्षा में जिले में पांचवा स्थान पाया है.

स्कूल में खुशी की लहर
उर्स लाइन कान्वेंट प्रबंधन को जैसे ही यह मालूम हुआ कि टॉप 5 की फेहरिश्त में शामिल 6 लड़कियों में 5 लड़कियां उनके स्कूल की है, पूरे स्कूल प्रशासन में खुशी की लहर दौड़ गई. वहीं, स्कूल की सभी लड़कियों ने खराब मौसम के बावजूद अपने संस्थान पहुंची. उन्होंने शिक्षकों के मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया.

सेल्फ स्टडी और स्कूल का माहौल
इस बाबत ईटीवी भारत से छात्राओं ने अपनी सफलता के पीछे का राज बयां किया. मेट्रिक टॉप करने वाली छात्राओं ने बताया कि ट्यूशन की शिक्षा के बजाए स्वयं अध्ययन और स्कूल में चलने वाली कक्षाओं के बूते ही इन्होंने यहां तक का सफर तय किया. इसके लिए ये सभी तकरीबन 10-12 घण्टें पढ़ाई किया करती थीं.

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