बिहार

bihar

ETV Bharat / state

हकीकत: ड्राई स्टेट में चौंकाने वाली रिपोर्ट- 'बिहार में महिलाएं खूब गटक रहीं शराब' - महिलाएं भी शराब की शौकीन

बिहार ड्राई स्टेट (Bihar Dry State) होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत (Bihar consumes more alcohol than Maharashtra) होती है. इतना ही नहीं महाराष्ट्र, तेलंगाना और गोवा की तुलना में बिहार में शराब की खपत आज भी ज्यादा है. बिहार में शराबबंदी का दिलचस्प पहलू यह भी है कि यहां सिर्फ पुरुष ही शराब के शौकीन नहीं है, बल्कि महिलाएं भी उनसे कहीं से कम नहीं है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में महिलाएं भी शराब की शौकीन
बिहार में महिलाएं भी शराब की शौकीन

By

Published : Mar 24, 2022, 9:13 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 9:28 PM IST

पटना:बिहार में शराबबंदी कानून ( Prohibition Law in Bihar) लागू है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ड्राई स्टेट होने के बावजूद यहां पर जहरीली शराब से मौत हो रही है. यहां पुरुषों के मुकाबले महिलाएं भी जमकर दारू पी रहीं हैं, ये आंकड़े नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे की हालिया रिपोर्ट में जारी हुए हैं. आंकड़े चौकाने वाले हैं. दिलचस्प बात ये है कि महिलाओं की भारी डिमांड पर ही बिहार में शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बहरहाल, आंकड़ों के सामने आने के बाद बिहार सरकार पर चौतरफा हमले भी शुरू हो गए हैं.

ये भी पढ़ें-आंकड़े गवाह हैं! बिहार में ना क्राइम घटा, ना ही शराबबंदी कानून लागू हो पाया

2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी: नीतीश कुमार ने साल 2016 में शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कहा था कि महिलाओं की इच्छा को उन्होंने पूरा किया है. दरअसल, यह फैसला नीतीश कुमार ने जब लिया था जब 2015 विधानसभा में नीतीश सरकार को 59.92% महिलाओं ने वोट दिया था. कई क्षेत्रों में 70% तक महिलाओं का वोट उन्हें प्राप्त हुआ था. उनका कहना था कि पुरुषों के शराब की लत से परेशान महिलाओं ने परिवारिक कलह, घरेलू हिंसा, शोषण और गरीबी के आधार पर राज्य में शराबबंदी कानून की मांग की थी, जिसको उन्होंने पूरा किया है. बिहार में शराबबंदी का दिलचस्प पहलू यह भी है कि यहां सिर्फ पुरुष ही शराब के शौकीन नहीं है, बल्कि महिलाओं में भी शराब का क्रेज कहीं ज्यादा है.

ये भी पढ़ें-'कहें ले नीतीश जी कि दारू भईले साफ हो.. 1200 में फुल मिले, 600 में हाफ हो..'

महिलाएं भी शराब की शौकीन:नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (NFH-5) की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ था कि बिहार में महिलाएं भी शराब की शौकीन (Women Fond of Consumes Alcohol in Bihar) हैं. शहरों में भी 0.5 फीसदी महिलाएं शराब पी रही हैं और गांव में यह संख्या 0.4 फीसदी रही है. पूर्ण शराबबंदी वाले राज्य में यह आंकड़ा कानून की पोल खोलने के लिए काफी है. सरकार इस चौंकाने वाली रिपोर्ट के बाद भी शहर से लेकर गांव तक कोई काम नहीं की. आंकड़े बताते हैं कि बिहार के शहरी क्षेत्र की महिलाएं भी शराब की शौकीन हैं.

महाराष्ट्र से ज्यादा बिहार में खपत:अगर दूसरे राज्य से तुलना करें तो महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्र में 13% और ग्रामीण इलाकों में 14.7% शराब का सेवन करते हैं. वहीं, महिलाओं के मामले में बिहार के शहरी इलाके की 0.5% और ग्रामीण क्षेत्र की 0.4 % महिलाएं शराब पीती हैं. महाराष्ट्र के लिए यह आंकड़ा शहरी इलाके में 0.3% और ग्रामीण क्षेत्रों में 0.5% है. यही नहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX

बिहार में शराबबंदी पर केंद्र की रिपोर्ट: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शराबबंदी की पोल सेंट्रल की रिपोर्ट में 2020 में ही खुली थी. नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (NFH-5) की रिपोर्ट 2020 के मुताबिक बिहार में शराबबंदी के बाद भी लोग शराब पी रहे हैं. बिहार में 15.5% लोग शराब का सेवन करते हैं. वहीं इसकी तुलना में महाराष्ट्र जहां शराबबंदी नहीं है वहां शराब पीने वाले पुरुष महज 13.9 है. बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन महाराष्ट्र, तेलंगाना और गोवा की तुलना में बिहार में शराब की खपत आज भी ज्यादा है. हालांकि, इसके लिए लोगों को चाहे दोगुनी या तीन गुनी कीमत ही क्यों ना चुकानी पड़े. हालांकि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-16 में बिहार की लगभग 29% आबादी शराब उपभोक्ता थी, लेकिन 2020-21 में घटकर 15.5% रह गई है.

पहले भी हो चुकी है शराबबंदी:आशंका है कि इससे ज्यादा लोगों की मौत हुई है और परिजनों ने कहीं ना कहीं पुलिस से बचने के लिए इन मामलों को छिपाने की भी कोशिश की है. पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने बताया कि बिहार में पहली बार शराबबंदी कानून लागू नहीं हुआ है. 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने शराबबंदी लागू किया था, लेकिन शराब की तस्करी इतनी बढ़ गई थी कि गैरकानूनी तरीके से बेचने वाले अपराधियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हो गई जिस वजह से शराबबंदी का फैसला वापस लेना पड़ा था और उस समय महज डेढ़ साल ही शराबबंदी कानून लागू रह पाया था.

बिहार में शराबबंदी कानून फेल! : अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सरकार पर विपक्षी पार्टियों के दबाव या न्यायालय के निर्देश के बाद कई तरह के बदलाव भी किए गए, लेकिन इसका भी असर देखने को नहीं मिल रहा है. बता दें कि शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए राज्य सरकार ने अलग से बकायदा मंत्रालय भी बना रखा है, जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी को मंत्री भी बनाया गया है. इसमें कई आईपीएस अधिकारी, ज्वाइंट सेक्रेट्री, एक्साइज कमिश्नर बिहार के 38 जिलों में 90 उत्पाद निरीक्षक 1000 से ज्यादा थानों और हजारों पुलिस वालों को लगाया गया है. फिर भी शराबबंदी कानून फेल साबित हो रहा है.

शराबबंदी के लिए करोड़ों किए खर्च: यही नहीं राज्य सरकार शराबबंदी कानून को सख्ती से पालन करवाने के लिए तरह-तरह के रिसर्च भी करने में जुटी हुई है. एक तरफ जहां करोड़ों रुपए के स्निफर डॉग, हेलीकॉप्टर, ड्रोन कैमरे, वायरलेस मोबाइल के अलावा कई तरह के उपकरण का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसका 1% भी फायदा बिहार में देखने को नहीं मिल रहा है. आए दिन हजारों लीटर शराब पकड़ी जा रही है. जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. बिहार के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह से फेल है.

''राज्य सरकार का पूरा का पूरा फोकस शराबबंदी कानून पर है जिस वजह से कहीं ना कहीं अपराध में भी बढ़ोतरी हो रही है. राज्य सरकार शराबबंदी कानून का पालन करवाने के लिए पानी की तरह पैसों को बहा रही है, लेकिन इसका फायदा देखने को नहीं मिल रहा है. महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना ऐसे राज्य हैं जहां पर शराबबंदी कानून लागू नहीं है. इसके बावजूद भी वहां से ज्यादा बिहार ड्राई स्टेट में शराब की खपत है. शराबबंदी का असर बिहार में देखने को नहीं मिल रहा है या सिर्फ एक ढकोसला बनकर रह गया है. जहरीली शराब से लगातार लोगों की मौत हो रही है. इसके बावजूद भी सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है.''-अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी

'सरकार पर शराब माफिया हावी': अमिताभ दास ने कहा कि परिवार में अगर किसी सदस्य की शराब की वजह से मौत हो रही है तो भी वो बताने से हिचक रहे हैं, क्योंकि पुलिस बेवजह उन्हें परेशान करना शुरू कर देगी. जिस वजह से आनन-फानन में जल्द से जल्द दाह संस्कार भी किया जा रहा है. सरकार के इतने दबाव के बावजूद भी शराब माफिया शराब की सप्लाई कर रहे हैं. इसका मतलब है कि कहीं ना कहीं सरकार पर शराब माफिया हावी हो गया है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर शराब माफिया आराम से घूम रहे हैं और जेलों में 99% गरीब दलित जिनके पास बेल करवाने का भी पैसा नहीं है वही लोग बंद है.

'महिलाओं के लिए शराब फैशन का हिस्सा':पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि महिलाओं के लिए शराब पीना कोई नई बात नहीं है. पुराने जमाने से गांव की महिलाएं ताड़ी, हुक्का या घर में बनाई जाने वाली देसी शराब का सेवन करती आई हैं. शहरी क्षेत्र की महिलाओं के लिए शराब शौक या यूं कहें कि यह फैशन का भी हिस्सा बन गया है. बहुत सारी महिलाएं खुद को आधुनिक बताने के लिए शराब का सेवन कर रही हैं.

ये भी पढ़ें-होली में जमीन पर अधूरी रह गई तैयारी.. आसमान में खाक छानते रहे ड्रोन और हेलीकॉप्टर, 41 की मौत से उठे सवाल

बिहार में शराबबंदी का उल्टा असर:अमिताभ दास ने कहा कि यह एक सामाजिक बुराई है, लेकिन सरकार द्वारा इस सामाजिक बुराई से जिस तरह से लड़ा जा रहा है वह कहीं से भी ठीक नहीं है. जिस वजह से यह कहा जा सकता है कि बिहार में शराबबंदी का कोई फायदा नहीं दिख रहा है. जिस राज्य में शराबबंदी कानून लागू नहीं है, वहां से ज्यादा बिहार ड्राई स्टेट होने के बावजूद खपत हो रही है. बिहार में शराबबंदी का उल्टा असर देखने को मिल रहा है. शराब माफिया पैदा हो रहे हैं तो वहीं भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के लिए यह एक और अलग से कमाई का स्रोत बन गया है.

शराब से मौत का तांडव जारी: बिहार के 5 जिलों में 5 दिनों में कथित जहरीली शराब से 43 लोगों की मौत हो चुकी है. जिनमें भागलपुर में 22, बांका में 13, मधेपुरा में 3, सिवान में 3 और कैमूर में 2 लोगों की मौत हुई है. साथ ही 24 से ज्यादा लोगों का इलाज जारी है. राज्य में पूर्ण शराबबंदी को लागू हुए 6 साल पूरे होने को है. इन 6 सालों के दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जिस दिन बिहार के शराबबंदी कानून तोड़ने की खबर ना आई हो. पुलिस की सख्ती के बावजूद शराबबंदी वाले बिहार में शराब धड़ल्ले से बिक रही है. होली पर जहरीली शराब पीने से अलग-अलग जिलों में 43 मौत हो चुकी हैं, इनमें कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है, हालांकि प्रशासन कई मौत को संदिग्ध मानता है, लेकिन परिजनों का कहना है कि मौत शराब पीने के कारण तबीयत बिगड़ने के बाद हुई है.

गौरतलब है कि अप्रैल 2016 में बिहार 5वां ऐसा राज्य बना था, जिसने देश में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया था. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के लगभग 6 साल होने जा रहे हैं. इसके बावजूद भी बिहार के कई जिलों में लगातार जहरीली शराब से मौत (Death Due to Poisonous Liquor in Bihar) के केस सामने आते रहते हैं. शराबबंदी कानून के बाद करीबन 200 लोगों की जहरीली शराब से जान जा चुकी है. इसके बावजूद भी सरकार या यूं कहें कि पुलिस प्रशासन इसको मानने को तैयार नहीं है कि मौत जहरीली शराब पीने से हो रही है. वहीं, राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करेंETV BHARAT APP

Last Updated : Mar 24, 2022, 9:28 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details