जयपुर/पटना : किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है. इसलिए मुहावरा भी है श्रीगणेश करना. गजानंद, गजदंत, गजमुख जैसे अनेक नामों से पूजे जाने वाले प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को पहले ही क्यों पूजा जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.
'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' किसी भी शुभ कार्यों का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण इस मंत्र के साथ किया जाता रहा है. जिसकी वजह है कि भगवान श्रीगणेश का ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य.
गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र विघ्नहर्ता गणेश भगवान का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ. इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी मनाते हैं. इस दिन गणपति बप्पा के भक्त गणेशजी की प्रतिमा अपने घरों या पंडालों में धूमधाम से विराजमान करते हैं.
क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक दिन मां पार्वती चंदन का उपटन लगा रही थी. तभी उन्होंने उबटन से श्रीगणेश को मूर्तरूप दिया और उसमें जान डाल दी. इसके बाद शिवशंकर भोलेनाथ घर पहुंचे तो बालरूप में गणेश ने उन्हें घर में जाने से रोक दिया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. जिसके बाद मां पार्वती बेहद दुःखी हुई और शिव से नाराज हो गई. तभी पार्वती को जीवित करने का वचन देकर शिव भगवान ने अपने गणों से किसी बच्चे का मस्तिक लाने को कहा लेकिन काफी समय गुजर जाने पर बालक का सिर नहीं मिला तो वो हाथी के छोटे बच्चे का सिर लेकर आए और गणेश भगवान को लगा दिया. ऐसे में जब ये पूरी घटना हुई तब चतुर्थी तिथि थी, तभी से इसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.
भगवान श्रीगणेश की पूजा विधि और मुहूर्त
• सबसे पहले एक लकड़ी का बाजोट ले और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं फिर गणेश जी को विराजमान करें
• गजानंद जी की मूर्ति है तो उसे बाजोट पर विराजमान करे और नहीं तो तस्वीर विराजमान कर सकते हैं
• गौरीपुत्र के सामने हाथ जोड़ कर फिर उनका आव्हान करें
• उसके पश्चात मंत्र पढ़ कर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाकर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करें
• वहीं चंदन-कुमकुम या फिर सिंदूर का तिलक लगाएं
• इसके साथ ही पुष्प अर्पित कर रोली-मौली के साथ फल प्रसाद के रूप में मोदक अर्पित कर मंत्रोजाप से पूजा-पाठ करके आशीर्वाद प्राप्त करें
• शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक मतलब करीब सवा दो घण्टे का मुहूर्त रहेगा
• 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक भी श्रष्टम पूजा का मुहूर्त रहेगा
क्यों प्रथम पूज्य हैं गणेश