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Inside Story: कन्हैया कुमार या राजेश राम.. बिहार में कौन होगा कांग्रेस का नया 'सेनापति'? - etv bharat bihar news

बहुत जल्द बिहार कांग्रेस में बदलाव हो सकता है. शीर्ष नेतृत्व पांच राज्यों के चुनावी नतीजों का इंतजार कर रहा था. ऐसे में संकट से जूझ रही कांग्रेस की बिहार इकाई पर मदन मोहन झा के इस्तीफे (Madan Mohan Jha resigned From state pcc) के बाद नये अध्यक्ष के चुनाव की जिम्मेदारी आ गयी है. लेकिन अब सवाल ये है कि बिहार कांग्रेस का नया सेनापति कौन होगा?. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Apr 15, 2022, 8:10 PM IST

पटना: बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा के इस्तीफे के बाद अब कांग्रेस में नए सेनापति की तलाश (who will be new bihar congress president) शुरू हो गई है. ऐसे में अध्यक्ष को लेकर चर्चा का बाजार भी गरम है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस दौर में ऐसे सेनापति को कमान सौंपने की तैयारी में है, जिससे सामाजिक समीकरण को भी साधा जाए और गठबंधन के इस दौर में हैसियत भी न घटे. वैसे माना यह भी जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे पर चौंकाने वाला फैसला भी ले सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर ऐसे तो कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन कुछ नाम रेस में काफी आगे हैं.

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कन्हैया कुमार बनेंगे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष?: वामपंथी नेता रहे कन्हैया कुमार भी बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में (kanhaiya kumar in bihar congress president race) बताए जा रहे हैं. कन्हैया भूमिहार जाति से आते हैं और अच्छे वक्ता भी हैं. ऐसे में कन्हैया का चेहरा भी जाना पहचाना है. हालाकि सूत्रों का कहना कि कन्हैया का अध्यक्ष बनना इतना आसान नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कन्हैया को स्वीकार करेंगे इसके आसार कम हैं. ऐसे में कन्हैया का अध्यक्ष बनना आसान नहीं है. दरअसल, बिहार में आरजेडी और कांग्रेस की राहें अलग होने के पीछे एक वजह कन्हैया कुमार से जुड़ी भी बताई जा रही है जिन्हें तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का बराबर का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है.

ये हो सकते हैं बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष: दूसरी तरफ, सूत्र बताते हैं कि अध्यक्ष बनने की दौड़ में कुटुंबा विधायक विधायक राजेश राम, पूर्व सांसद रंजीता रंजन, राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह भी आगे हैं. वैसे, विजय शंकर दुबे भी इस रेस में बताए जा रहे हैं लेकिन इस बार भी ब्राह्मण अध्यक्ष बनें इसकी संभावना कम है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस बिहार में सवर्णों की राजनीति करती रही है. ऐसे में कांग्रेस इस बार भी सवर्ण अध्यक्ष बनाकर सवर्णों को साधने की कोशिश करेगी.

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राजेश राम का नाम सबसे आगे: राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह और कन्हैया कुमार भूमिहार जाति से आते हैं. ऐसे में तर्क दिया जा रहा है कि सवर्ण अध्यक्ष के हटने के बाद कांग्रेस राजेश राम को भी अध्यक्ष बनाकर (Rajesh Ram leading the race in bihar) दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश कर सकती है. वैसे, किसी भी नाम को लेकर कांग्रेस के अंदर फूट दिखाई दे रही है. किसी भी नाम पर ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में नाराजगी देखने को नहीं मिले. हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस सवाल को खारिज कर देते हैं.

''पिछले कुछ समय से बिहार इकाई के प्रमुख के लिए नये शख्स की जरूरत महसूस की जा रही है. वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री व इस समय विधान परिषद के सदस्य मदन मोहन झा ने शालीन तरीके से इस्तीफा देकर रास्ता साफ कर दिया है. पार्टी आलाकमान नये प्रदेश अध्यक्ष के लिए संभावित नामों पर विचार कर रहा है. उचित समय पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.'' - तारिक अनवर, कांग्रेस महासचिव तारिक

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नए कांग्रेस अध्यक्ष की राह आसान नहीं होगी: इधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि बिहार कांग्रेस की कमान (Bihar Congress New President) ऐसे नेता को दी जाए जो जनता की भी पसंद हो. फिलहाल, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर इतना तय है कि अध्यक्ष कोई भी बने, उसकी राह आसान नहीं रहने वाली है. अध्यक्ष बनते ही विरोधी खेमा तैयार हो जाएगा. ऐसे में माना जा रहा कांग्रेस आलाकमान द्वारा अध्यक्ष को लेकर लिया गया फैसला चौंकाने वाला भी हो सकता है.

राहुल से मुलाकात कर लौटे मदन मोहन झा: इस बीच, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा दिल्ली से पटना पहुंचे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हुई है. उनसे संगठन को लेकर चर्चा हुई है. वर्तमान में बिहार की जो स्थिति है, उसके बारे में भी बातचीत हुई है. उनसे जब पूछा गया कि नए प्रदेश अध्यक्ष कौन होंगे? आप प्रदेश अध्यक्ष हैं कि नहीं अभी, तो उन्होंने कहा कि देखिए कांग्रेस में यह परंपरा चली आ रही है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होने के बाद ही जो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष होते हैं, वह हटते हैं. इसके लिए जरूरी नहीं होता है कि प्रदेश अध्यक्ष इस्तीफा दें.

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''आलाकमान को इस्तीफा मांगने की जरूरत नहीं है, वह चाहें तो कभी भी हटा सकते हैं. मुझे आलाकमान का आशीर्वाद का हमेशा मिलता रहता है. रही अध्यक्ष की बात तो वह आता जाता रहता है. अध्यक्ष का पद कोई परमानेंट पद नहीं है. मैंने अपना इस्तीफा बहुत पहले ही कांग्रेस के आलाकमान को सौंपा था. इस बार मुलाकात कर उन्हें याद भी दिलाया है.'' - मदन मोहन झा, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष

इस्तीफे की असली वजह क्या है?: दरअसल, बिहार में कांग्रेस की हार और लगातार खराब होती स्थिति को लेकर मदन मोहन झा की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ रहे थे. पिछले दिनों बिहार कांग्रेस के पूर्व विधायक और पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पोते ऋषि मिश्रा ने भी मदन मोहन झा की कार्यशैली पर सवाल उठाया था और पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. सूत्र तो यहां तक बताते है कि बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्‍त चरण दास ने तो झा को 2020 विधानसभा चुनाव के बाद इस्तीफा देने के लिए कह दिया था.

सियासी तूफान में फंसी कांग्रेस: बिहार में कांग्रेस संगठन के तौर पर पूरी तरह कमजोर हो गई है. बिहार में 2020 के चुनाव के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन कांग्रेस बिहार में अब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर सकी. 2020 विधान सभा चुनाव में महागठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें मिलीं और कांग्रेस महज 19 सीट ही जीत पाई. तारापुर और कुशेश्वर स्थान में उपचुनाव में भी कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार ढेर हो गए. 24 सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव में भी कांग्रेस मैदन में अकेली नजर आई. बोचहां उपचुनाव में भी को कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला. इतना ही नहीं आपको याद होगा कि पिछले दिनों आरजेडी सुप्रीमों लालू यादव ने तो बिहार प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास को भकचोन्हर तक कह दिया था.

कार्यकारी अध्यक्ष के लिए ये सुझाए गए ये नाम: फिलहाल, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा और चारों कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह, कौकब कादरी, अशोक राम, श्याम सुंदर सिंह धीरज का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. सूत्रों के अनुसार बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरणदास ने बिहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राष्ट्रीय सचिव एवं विधायक शकील अहमद खान एवं राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व सांसद रंजीता रंजन का नाम आलाकमान को सुझाया है.

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