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Waterlogging In Patna : मानसून की पहली बारिश पटना के लिए बनी आफत.. राजेंद्र नगर का पूरा इलाका जलमग्न

पटना नगर निगम मानसून से पूर्व तैयारियों के बारे में चाहे कितने भी दावे कर ले कि इस बार पटना में जलजमाव की समस्या नहीं झेलनी पड़ेगी, लेकिन यह दावे‌ हर साल झूठे हो जाते हैं. इस बार भी नगर निगम ने ढिंढोरा पीटा था कि जल निकासी को लेकर ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह दुरुस्त है, लेकिन 15 से 16 घंटे पटना में रुक-रुक कर हुई बारिश ने नगर निगम के दावों की कलई खोल दी. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 30, 2023, 7:12 PM IST

पटना में पहली बारिश से जलजमाव

पटना:बिहार में मानसून की पहली बारिश ही राजधानी पटना के लिए आफत बन गई. राजेंद्र नगर जैसे रिहायशी इलाके एक बार फिर से घुटने से कमर तक पानी में डूब गए. कदम कुआं स्थित नगर निगम का बांकीपुर अंचल कार्यालय भी पानी में डूबा हुआ नजर आया. अंचल कार्यालय के बाहर घुटने से थोड़ा नीचे पानी नजर आया. इसी कार्यालय में हर बार नगर निगम बोर्ड की बैठक होती है और ड्रेनेज सिस्टम को लेकर रणनीति तैयार की जाती है, लेकिन मानसून की पहली ही बारिश में ही नगर निगम के सभी दावों की कलई खुल गई.

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दर्जनों मैनहोल खुले: नगर निगम ने दावा किया था कि कहीं मैनहोल खुला नहीं होगा, लेकिन राजेंद्र नगर के रोड नंबर 2 में घुटना से कमर तक पानी जमा है और दर्जनों मैनहोल खुले हुए हैं. ईटीवी भारत के कैमरे में लोगों के गिरने की लाइव तस्वीरें कैद हुई है. लोगों का कहना है कि सड़क भी खराब है और पता नहीं चल रहा कि कहां गड्ढा है, कहां समतल है. रोड पर गाड़ी से निकलना और पैदल चलना भी मुश्किल है. कई लोगों की गाड़ियां खराब हो गई और फोर व्हीलर गाड़ी को लोग ढकेल कर पानी से बाहर निकालते हुए नजर आए.

घुटने भर पानी में फंस रहे वाहन :वार्ड 43 में गाड़ी पानी से निकल रहे मृणाल राज ने कहा कि हर साल सिर्फ नगर निगम और बिहार सरकार के नगर विकास विभाग की ओर से झूठे दावे किए जाते हैं. धरातल पर कोई काम नहीं होता है. काम भी होता है तो ढंग का नहीं होता है. इस कारण राजेंद्र नगर जैसा रिहायशी इलाका पूरी तरह जलमग्न है. अभी मानसून की शुरुआत ही है और 2019 जैसा नजारा नजर आने लगा है. सड़क पर चारों तरफ पानी जमा है और गाड़ी चलाने में कहां गड्ढा आ रहा है, मालूम नहीं चल रहा. एक दिन की बारिश में शहर की स्थिति नारकीय हो गई है.

"हर साल सिर्फ नगर निगम और बिहार सरकार के नगर विकास विभाग की ओर से झूठे दावे किए जाते हैं. धरातल पर कोई काम नहीं होता है. काम भी होता है तो ढंग का नहीं होता है. इस कारण राजेंद्र नगर जैसा रिहायशी इलाका पूरी तरह जलमग्न है"- मृणाल राज, पटनावासी

राजेंद्रनगर में जलजमाव : बाइक से गुजर रहे राहगीर दीपू कुमार ने कहा कि "सड़क पर चलने में डर लग रहा है, लेकिन काम है तो जाना है. जिस रास्ते पर रोजाना अधिक आना जाना होता है. उसका अंदाजा है कि कहां गड्ढा होगा, कहां नहीं होगा. कई बार सड़क पर गड्ढे का अंदाजा नहीं मिलने के कारण पानी में गाड़ी डूब जा रही है और गाड़ी बंद हो जा रही है". यह स्थिति राजेंद्र नगर के लिए नई नहीं है. हर साल बारिश में ऐसी स्थिति बन जाती है. अभी तो मानसून की शुरुआत है और बारिश की स्थिति यही रही तो ना जाने आगे क्या नौबत आए.

सड़कों पर बने गड्ढे का नहीं चल पा रहा पता: युवक सुधीर कुमार ने कहा कि"राजेंद्र नगर की सड़कों पर घुटने से कमर तक पानी जमा हुआ है. इसी में आगे जाना है. कई जगह सड़क पर मेनहोल खुले हुए हैं और लोगों ने बांस बल्ला लगा कर के साइन तैयार किया है. ताकि लोग वहां ना जाएं और खतरे की जगह को समझें". मानसून के सक्रिय होने के बाद ड्रेनेज की रिपेयरिंग शुरू की गई और बारिश के कारण अधर में काम अटका हुआ है जो और ड्रेनेज सिस्टम बर्बाद कर रहा है.

पानी में गिरते लोग कैमरे में कैद :सुधीर कुमार ने कहा कि बिहार सरकार का पूरा ध्यान दारू और बालू से पैसे कमाने पर है. रोड सेफ्टी के नाम पर सरकार सड़क पर यदि कोई हेलमेट नहीं पहने नजर आए तो उसे आतंकवादियों जैसा ट्रीटमेंट करती है लेकिन सड़क खस्ताहाल में है. घुटने से अधिक पानी जमा है. लोग इसमें गिर रहे हैं. इस पर सरकार को रोड सेफ्टी नजर नहीं आती. ईटीवी भारत के कैमरे पर पानी में गिरते हुए लाइव कैद हुए देवी ने बताया कि घर से निकलने के बाद अब तक वह पानी में तीन बार गिर चुकी हैं.

रिहायशी इलाकों में घुसा पानी :देवी ने कहा कि "थोड़ी देर पहले वह गिरने लगी तो एक युवक बचाने आया और वह भी गिर गया. घुटने भर से कमर तक पानी जमा है और कहीं गड्ढा है तो कहीं पत्थर है. राजेंद्र नगर जैसे रिहायशी इलाके में इस प्रकार के हालात को देखकर बहुत अफसोस होता है". वे लोग क्यों चुनावों में नेता मंत्री को वोट देते हैं. नेता मंत्री के दावे से अब उन्हें गुस्सा भी आता है. कोई नेता किसी काम के नहीं है और सिर्फ मीडिया में चेहरा चमकाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें करते हैं काम कुछ नहीं करते.

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