पटनाःजहां एक तरफ गिरते जलस्तर से लोग त्राहिमाम हैं और बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ राजधानी में कई जगहों पर बेहिसाब पानी की बर्बादी हो रही है. सवाल ये है कि इसका जिम्मेदार कौन हैं.
भूजल स्तर में गिरावट
तेजी से गिरते जलस्तर को लेकर सूबे में जल संकट गहराता जा रहा है. भूजल स्तर में गिरावट से गांव से लेकर शहर तक लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि नदी, पोखर, तालाब सब सूख रहे हैं. यहां तक कि सार्वजनिक स्थलों पर लगे चापाकल भी दम तोड़ रहे हैं. लेकिन इससे अलग एक दूसरी तस्वीर भी है, जहां पानी की बेहिसाब बर्बादी हो रही है, हजारों लीटर पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है.
हजारों लीटर पानी रोजाना बर्बाद
राजधानी में कई जगहों पर पानी के पाईपों में नल नहीं होने के कारण रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है, हर साल पानी को लेकर लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उसी पानी को बचाने के लिए हम कितने तैयार और सजग होते हैं. इसका अंदाजा अपने आसपास की तस्वीरों से ही देख सकते हैं. पानी की बर्बादी कर रहे लोगों को शायद यह नहीं पता कि बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोगों के बीच पानी का क्या मोल होता है.
बर्बाद होता पानी और जानकारी देते विशेषज्ञ 35000 चापाकल सूखे
गौरतलब है कि लगातार पानी के गिरते स्तर और कम बारिश की संभावना के कारण बिहार इस बार सूखे की मार झेलने को विवश है. प्रदेश के 35000 चापाकल सूख चुके हैं, तालाबों के लिए प्रसिद्ध उत्तरी बिहार में भी इस बार पानी टैंकर पहुंचाए जा रहे हैं. राजधानी पटना की बात करें तो यहां भी जलस्तर लगभग 5 से 7 फीट नीचे चला गया है. एक तरफ लोगों को पानी के लिए लगभग 500 टैंकर को लगाया गया है, लोग पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं सरकार के नाक के नीचे पटना में हजारों लीटर पानी बर्बाद किए जा रहे हैं.