बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Bihar Politics: चार बार छोड़ चुके हैं नीतीश का साथ, पाला बदलने में माहिर उपेंद्र कुशवाहा ने फिर बनाई नई पार्टी - patna news

जेडीयू में उपेंद्र कुशवाहा को लेकर चल रही कयासबाजी को उस वक्त विराम लग गया, जब उन्होने 20 फरवरी को अपनी एक नई पार्टी बना ली. इसके साथ ये बात भी साफ हो गई की फिलहाल वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. हालांकि 2024 चुनाव में उनकी पार्टी का एनडीए के साथ जाना तय है. पाला बदलने में माहिर उपेंद्र कुशवाहा ने 4 बार नीतीश कुमार का साथ छोड़ा है. पार्टी में उनको मन मुताबिक जगह नहीं मिलने के कारण अक्सर लव-कुश की जोड़ी टूटती रही है और एक बार फिर उन्होंने जेडीयू का साथ छोड़ कर नई पार्टी बना ली है.

उपेंद्र कुशवाहा ने बनाई नई पार्टी
उपेंद्र कुशवाहा ने बनाई नई पार्टी

By

Published : Feb 21, 2023, 10:31 AM IST

Updated : Feb 21, 2023, 11:03 AM IST

पटनाःउपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से अगल होकर नई पार्टीराष्ट्रीय लोक जनता दलबनाया है. उपेंद्र कुशवाहा ने पहली बार कोई पार्टी नहीं बनाई है. इससे पहले भी वे 2013 में जेडीयू से अलग हुए थे और अलग पार्टी रालोसपा बनाई थी, जिसे मार्च 2021 में जदयू में विलय करा दिया था. नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा का 1994 से संबंध रहा है और लालू के खिलाफ संघर्ष में नीतीश कुमार के साथ रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से उनसे तीन बार अलग भी हुए हैं अब वो एक बार फिर नीतीश कुमार को लव-कुश वोट बैंक को लेकर चुनौती देने वाले हैं.

ये भी पढ़ेंःUpendra Kushwaha New Party: 'उपेंद्र कुशवाहा को CM बनाकर ही दम लेंगे..' RLJD के कार्यकर्ताओं ने जमकर फोड़े पटाखे


चारों सदनों के रह चुके हैं सदस्यः उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक जीवन देखें तो काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 'उपेंद्र कुशवाहा चारों सदन के सदस्य बन चुके हैं. साल 2000 के विधानसभा चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा ने जंदाहा सीट से ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. चुनाव जीतने के बाद कुशवाहा नीतीश कुमार के करीब आ गए. जब 2004 में सुशील मोदी लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र में गए तो उपेंद्र कुशवाहा नीतीश के समर्थन से बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन गए. इसके बाद 2005 वो विधानसभा चुनाव में जंदाहा सीट हार गए.

2005 में दो बार हारे चुनावःइस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और कोई पार्टी सरकार नहीं बना पाई. इसके बाद अक्टूबर 2005 में फिर से चुनाव हुए, लेकिन इस बार दलसिंहपुर सीट से उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव लड़े और हार गये. हार की वजह से नीतीश सरकार ने मंत्री नहीं बनाया. दोनों हार में वर्तमान जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की बड़ी भूमिका रही उमेश कुशवाहा उस समय आरजेडी में थे. 2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व में जदयू-भाजपा की सरकार तो बनी. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा अलग थलग हो गए, माना जाता है कि तभी से ही दोनों नेताओं नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच मनमुटाव की शुरुआत हो गई थी.

शरद पवार की एनसीपी में हुए शामिलः "इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़ा और शरद पवार की एनसीपी के साथ हो लिए. एनसीपी ने उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, लेकिन उस समय महाराष्ट्र में बिहारियों पर हमले को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई और एनसीपी का साथ भी छोड़ दिया. 2009 में कुशवाहा की फिर से जदयू में एंट्री हुई और नीतीश कुमार ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भी भेजा. इसके बाद भी कुशवाहा पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने लगे और उसके बाद फिर से पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के गठन किया.

साल 2014 में एनडीए में हुए शामिल: 2014 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में शामिल हो गए थे. नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चले गए थे. एनडीए में जाने के बाद 2014 में उपेंद्र कुशवाहा को तीन लोकसभा सीटें सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद मिला थी तीनों पर जीत हुई थी. नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बनाए गए. साल 2015 के बिहार विधआनसभा में उनकी पार्टी को 23 सीटें मिले लेकिन वो तीन सीट पर ही खाता खोल पाई. इसके बाद साल 2018 में वो एनडीए से भी अलग हो गए और केंद्रीय मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया.

2021 में रालोसपा का जेडीयू में हुआ विलयः उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा और खुद मुख्यमंत्री के उम्मीदवार घोषित थे, लेकिन सफलता नहीं मिली एक भी सीट पर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को जीत नहीं मिली. उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर से जदयू के तरफ अपना रुख किया और जदयू में अपनी पार्टी का विलय करा दिया उपेंद्र कुशवाहा का बड़े भव्य तरीके से नीतीश कुमार और पार्टी के नेताओं ने स्वागत किया . उपेन्द्र कुशवाहा ने मार्च 2021 में अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय की घोषणा करते हुए कहा था कि यह देश और राज्य के हित में है और पूरा जीवन अब इसी पार्टी में बिताएंगे. विलय को वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति की मांग भी बताया.

उपेंद्र कुशवाहा ने अब तक दो नई पार्टी बनाईःइस तरह उपेंद्र कुशवाहा पिछले ढाई दशक के राजनीतिक कैरियर में दो नई पार्टी बना चुके हैं चार बार नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं और कई पार्टियों में भी रहे हैं. प्रमुख गठबंधन के साथ भी समझौता किया है. अब एक बार फिर से चर्चा में है एनडीए से 2024 में उनका समझौता तय माना जा रहा है. उपेंद्र कुशवाहा लव-कुश वोट बैंक पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं इसी वोट बैंक पर नीतीश कुमार भी अपनी दावेदारी करते रहे हैं और इसके बूते ही पिछले डेढ़ दशक से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं, ऐसे में नीतीश कुमार को ही उपेंद्र कुशवाहा आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती देने वाले हैं.

Last Updated : Feb 21, 2023, 11:03 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details