नई दिल्ली/पटनाःकेंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्रीअश्विनी चौबे (Ashwini Choubey) ने कहा है कि 'वन नेशन, वन राशन' कार्ड योजना (One Nation One Ration Card Scheme) देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है. असम और छत्तीसगढ़ में भी ये जल्द लागू हो जाएगा. कोशिश है कि साल के अंत तक पूरे देश भर में ये योजना लागू हो जाए. उन्होंने ये भी कहा कि 2023 तक सरकारी योजना से मिलने वाले चावल फोर्टिफाइड होंगे.
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'कुपोषण की समस्या को हम लोग पूरी तरह से समाप्त करना चाहते हैं. 2023 तक हर योजना के माध्यम से मिलने वाले चावल को फोर्टिफाइड कर दिया जाएगा. जैसे एक देश एक राशन कार्ड योजना है उसी तरह हम लोग कोशिश में है कि एक देश एक चावल योजना हो और सरकारी राशन दुकान या जेनरल स्टोर, हर जगह पोषण युक्त चावल यानी फोर्टिफाइड चावल मिले'- अश्विनी चौबे, केंद्रीय राज्यमंत्री
मिड डे मील, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आईसीडीएस के जरिए पोषण युक्त चावल बांटा जा रहा है. जिन अन्य योजनाओं में चावल बांटते हैं. उन योजनाओं में भी जल्द पोषण युक्त चावल ही बाटेंगे. बता दें केंद्र सरकार पोषण युक्त चावल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 15 राज्यों में मुहैया करा रही है. जिसमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात ने पोषक तत्वों के साथ मिश्रित चावल का वितरण शुरू कर दिया है.
राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देश के 40 फीसदी घरों में बच्चों को मिलने वाला भोजन असंतुलित है. 5 साल से कम उम्र के 55 फीसदी बच्चों का वजन सामान्य से कम है. 5 साल तक की उम्र के बच्चों में विटामिन ए की मात्रा सामान्य से कम है. 52 फीसदी बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है. 35 फीसदी पुरुष और महिलाएं ऊर्जा की कमी का सामना कर रही हैं. लोगों के भोजन में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम की मात्रा घटती जा रही है. महिलाएं एवं लड़कियों में से 53.1 फीसदी अनीमिया की शिकार थी.
पोषण युक्त चावल में फोलिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन B12, आयरन, विटामिन b1, जिंक जैसे तत्व होते हैं. यह पोषक तत्व हैं. इन पोषक तत्वों के कारण पोषण युक्त चावल की न्यूट्रेशन वैल्यू अधिक होती है. इसलिए जो खाएगा वह कुपोषण का शिकार नहीं होगा. सूत्रों के अनुसार देश की आबादी में से 70% लोगों को जरूरी पोषक तत्वों का 50% भी नहीं मिल पा रहा है. मौजूदा समय में देश में हर दूसरी महिला एनीमिया और हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. कुपोषण के कारण देश में 5 साल से छोटे बच्चों में से 68% की मौत हो जाती है.
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