पटना:बिहार की राजनीति पल-पल बदलती रहती है. बिहार में होने वाला राजनीतिक बदलाव पूरे देश में अपनी धमक दिखाता है. यहां तक कि पूरे देश की नजर बिहार की राजनीति पर टिकी रहती है. बिहार की राजनीति में पोस्टर को लगाना और हटाना कोई नई बात नहीं है. लेकिन खास बात यह है कि बिहार की राजनीति में पोस्टर एक राजनीतिक थर्मामीटर का काम करते हैं. एक ऐसा थर्मामीटर जो राजनीति के तापमान के उतार और चढ़ाव को बखूबी दर्शाता रहता है.
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फिर चर्चा में पोस्टर: दरअसल, राज्य की राजनीतिक हालात को देखें तो वर्तमान में पोस्टर फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा का केंद्र बिंदु जदयू नेता की तरफ से लगाया गया पोस्टर है. दरअसल राजधानी पटना में 23 जनवरी को महाराणा प्रताप की जयंती पर राष्ट्रीय स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा. इसके लिए बड़े स्तर पर व्यापक तैयारी की गई है. पोस्टर भी लगाए गए हैं. इस पोस्टर में जदयू के तमाम नेताओं की तस्वीरें तो हैं, लेकिन जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर नदारद है.
उपेन्द्र कुशवाहा बदल सकते हैं पाला? : इधर पोस्टर से जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर गायब होने की खबर सुर्खियां बनीं, तो वहीं ट्विटर पर उपेंद्र कुशवाहा की एम्स दिल्ली में बिहार बीजेपी के नेताओं के साथ वह तस्वीर भी ट्वीट हो गई. जिसके बाद इस आशंका को और बल मिलने लगा कि शायद उपेंद्र कुशवाहा पाला बदलने की तैयारी में हैं. शायद यही कारण है कि स्वाभिमान दिवस पर लगाए गए पोस्टर से उनकी तस्वीर गायब हो गई है.
बहुत कुछ बयां कर रहे पोस्टर: इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस को लेकर जो तैयारी की जा रही है उसके पोस्टर हरे रंग में तो लगे ही हैं, केसरिया रंग से भी रंग दिया गया है. इन पोस्टरों पर केवल दो ही नेताओं की तस्वीर लगी हुई है, जिसमें से एक तस्वीर सीएम नीतीश कुमार और दूसरी उन्हीं की पार्टी के एमएलसी और तैयारी समिति के अध्यक्ष संजय सिंह की है.
राजद के पोस्टर ने भी दिया था मैसेज: केवल जेडीयू ही नहीं बल्कि राजद की तरफ से लगाए गए पोस्टर ने भी बहुत कुछ संदेश दे दिया था. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश कार्यालय ऑफिस में करीब 2 साल पहले पार्टी के संस्थापक और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तस्वीर वाला पोस्टर लगा रहता था. इसके बाद लालू प्रसाद की तस्वीर वाली वह पोस्टर हटा दी गई. उसकी जगह पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की तस्वीरों वाले पोस्टर को लगाया गया था. इन पोस्टरों के लगाने के करीब एक साल बाद राजद ने दिल्ली में आयोजित हुए अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में तेजस्वी यादव को पार्टी के सभी नीतिगत फैसले लेने के लिए अधिकृत कर दिया था. इस मामले पर भी पोस्टरों ने आने वाली कल की तस्वीर की एक रेखाचित्र के जरिए उकेर दिया था.
''बयान और पोस्टर राजनीति के लिए अचूक अस्त्र माने जाते हैं. कोई भी पार्टी इससे अछूती नहीं है. बिहार की राजनीति में भी पोस्टर और बयान का अपना अलग चलन है. यहां पोस्टर के जरिए आने वाले सियासी बदलाव के संकेत भी मिलते रहे हैं. अगर किसी नेता को पोस्टर के द्वारा कुछ कहना रहता है तो पोस्टर के जरिए उसका इमोशन समझ में आता है. हाल के दिनों में अगर गौर करें तो राजद ने भी पोस्टर वार किया है. राजद के द्वारा भी पोस्टर लगाए गए हैं. जिसका जवाब बीजेपी ने भी पोस्ट के द्वारा ही दिया था. जदयू भी पोस्टर के जरिए अपनी बात कह चुका है. राजनीति में पोस्टरबाजी का एक अलग महत्व है और सभी पार्टियां इसे करती रहती हैं.''- वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक