'हर साल बाढ़ की त्रासदी को झेलता है बिहार, तटबंध नहीं हैं समस्या का निदान'
बिहार में इन दिनों 14 जिले बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. हर साल बाढ़ से हो रही तबाही को लेकर अब तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है. देखिए ये रिपोर्ट...
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Published : Aug 11, 2020, 6:40 PM IST
पटनाः बिहार में हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई को जान से हाथ धोना पड़ता है. इसे देखते हुए राज्य में 3800 किलोमीटर से अधिक लंबाई में तटबंध का निर्माण कराया गया, लेकिन इससे बाढ़ की समस्या खत्म नहीं हुई. विशेषज्ञ का मानना है कि तटबंध से बाढ़ की समस्या का निदान नहीं होने वाला है. इसके लिए नदियों को सिंचाई योजना से लिंक करना होगा.
हर साल होता है करोड़ों का नुकसान बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. राज्य सरकार हर साल बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से मांग करती है. 2007 में बिहार सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए 17 हजार करोड़ से अधिक, 2008 में कुसहा तटबंध टूटने पर बिहार सरकार ने 14 हजार 800 करोड़, 2016 में बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 4 हजार से अधिक की मांग की गई थी.
देखें रिपोर्ट
बिहार सरकार ने 2017 में 7 हजार 600 करोड़ से अधिक वहीं, 2019 में 4 हजार 400 करोड़ से अधिक की मांग केंद्र से की थी. इस साल भी बाढ़ से हुए नुकसान का आंकड़ा कम नहीं है.
बाढ़ से नुकसान की केंद्र से मांग-
वर्ष
मांग(करोड़ में)
मिला(करोड़ में)
2007
17059.00
----
2008
14800.00
1010
2016
4112.98
----
2017
7636.51
1700
2019
4400.00
1000
बाढ़ का पानी
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बिहार का कुल 68.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है, जिसमें उत्तर बिहार में 44.46 लाख हेक्टेयर और दक्षिण बिहार में 24.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है. बाढ़ से बचाव के लिए 3800 किलोमीटर तटबंध का निर्माण किया गया है, जिसमें उत्तर बिहार में तटबंध की लंबाई 3305 किलोमीटर हैं और दक्षिण बिहार के तटबंध की लंबाई 485 किलोमीटर है.
बिहार में नदियों के 12 बेसिन पर तटबंध का निर्माण किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
तटबंध
लंबाई (कि.मी)
गंडक बेसीन तटबंध
511.66
बूढ़ी गंडक बेसीन तटबंध
779.26
बागमती बेसीन तटबंध
488.14
कोसी बेसीन तटबंध
652.41
कमला बेसीन तटबंध
204.00
घाघरा बेसीन तटबंध
132.90
पुनपुन बेसीन तटबंध
37.62
चंदन बेसीन तटबंध
83.18
महानंदा बेसीन तटबंध
230.33
गंगा बेसीन तटबंध
596. 02
सोन बेसीन तटबंध
59.54
किउल हरोहर बेसीन तटबंध
14.00
पानी में डूबे पशु
बाढ़ की विभीषिका बिहार सरकरा तटबंध के निर्माण और फिर मरम्मत पर हर साल हजारों करोड़ रुपये की राशि खर्च करती है. इसके बावजूद हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है. बाढ़ पर पिछले कई सालों से काम करने वाले रणजीव का कहना है कि तटबंध बाढ़ से बचाव का उपाय नहीं है, इसके लिए नदियों को सिंचाई योजना से जोड़ना होगा. डैम बनाने की बात भी सालों से हो रही है, लेकिन नेपाल की स्थिति को देखते हुए डैम भी बनाना आसान नहीं है.
बाढ़ में आवाजाही करते लोग
टूट रहे हैं तटबंध रणजीव का कहना है कि पहले नदियां गाद खेतों में लेकर पहुंचती थी, लेकिन तटबंध बनने के बाद से नदियों में गाद जमा हो जाती है और यह एक बड़ी समस्या है. नदियों को प्राकृतिक रूप से ही बहने देने से बाढ़ से निजात पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी जो स्थिति है उसमें तटबंध टूट रहे हैं और बाढ़ का पानी कई दिनों तक जमा रह जाता है.
विशेषज्ञ रणजीव
बाढ़ पर पीएम के साथ बैठक बाढ़ की समस्या को लेकर प्रधानमंत्री ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ समीक्षा बैठक की है. बैठक में मुख्यमंत्री ने रिलीफ फंड का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि साल 2017 में 2385 करोड़ 42 लाख और 2019 में 2003 करोड़ 55 लाख मुख्यमंत्री ने कहा वर्ष 2017 में 2385 करोड़ 42 लाख और 2019 में 2003 करोड़ 55 लाख ग्रेच्युटस रिलीफ दी गई है. सीएम ने कहा कि इस साल बिहार सरकार की तरफ से 378 करोड़ से अधिक की राशि दी जा चुकी है.
केंद्र से मदद मुख्यमंत्री ने स्टेट डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट फंड की चर्चा की. उन्होंने केंद्र से अधिक से अधिक मदद मिलने की ओर इशारा भी किया. बिहार में बाढ़ का बड़ा कारण नेपाल में मानसून के दिनों में आने वाला पानी है. इसका अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है. डैम पर हर साल बाढ़ के समय चर्चा होती है लेकिन बाद में यह मामला फिर शांत हो जाता है.