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ठेकुआ के बिना अधूरा माना जाता है छठ महापर्व, इसी से सूर्यदेव को दिया जाता है अर्घ्य - Mahaprasad Thekua

आस्था का महापर्व छठ 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू और 11 नवंबर को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा. इस महापर्व का सबसे अहम ठेकुआ होता है. ठेकुआ से ही सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है.

ठेकुआ
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Published : Nov 10, 2021, 3:40 PM IST

पटना:लोक आस्था का महापर्व छठ ( Chhath Puja 2021 ) बिहार समेत उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है. चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन आज डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्यदिया जाएगा. छठ महापर्व में प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है. ठेकुआ को इस पर्व का महाप्रसाद (Mahaprasad Thekua) माना जाता है. ठेकुआ के अन्य फलों से सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में लोगों के बीच बांट दिया जाता है.

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छठ महापर्व ठेकुआ के बिना अधूरा माना जाता है. छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए सभी व्रती ठेकुआ बनाती हैं. जिसे इस पर्व का महाप्रसाद कहा जाता है. आस्था के महापर्व छठ पूजा में व्रती छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए 4 दिन के इस महापर्व को हर्षोउल्लास के साथ उत्सव के रूप में मनाती है. कई तरह के प्रसाद को सूप एवं टोकरी में सजाया जाता है. इस प्रसाद के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. ठेकुआ को गेहूं के आटे में इलाइची एवं नारियल मिलाकर बनाया जाता है. यह प्रसाद काफी स्वादिष्ट होता है.

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आमतौर पर छठ पर्व में कई तरह के प्रसाद बनते हैं. जिसमें ठेकुआ का प्रसाद को महाप्रसाद कहा जाता है. इसके बिना यह महापर्व अधूरा माना जाता है. छठी मैया को ठेकुआ बहुत ही प्रिय है. ऐसे में छठ महापर्व में ठेकुआ महाप्रसाद बनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

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