पटना: पटना नगर निगम की एक और योजना महज फाइलों में सिमट कर रह गई. साल 2020 के अगस्त महीने में नगर निगम के स्थाई समिति ने पटना में प्रदूषण कम करने के लिए साइकिल योजना को मंजूरी दी थी. जो 6 महीने बीत जाने के बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. योजना सरकारी विभागों में मंजूरी पूरा होने का चक्कर लगा रही है.
साल 2020 पटना की स्वच्छता रैंकिंग दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर में 47वां नंबर था. साथ ही एक महीने पहले तक राजधानी की आबो-हवा देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर थी. करीब एक महीने पहले पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 469 तक पहुंच चुका था. पटना नगर निगम ने भी पिछले साल ही विदेशी शहरों की तर्ज पर प्रदूषण कम करने के लिए साइकिलिंग को अपना विकल्प चुना था. निगम प्रशासन ने पीपीपी मोड के तहत लोगों को साइकिल उपलब्ध कराने का दावा किया था. लेकिन निगम के ढुल-मुल रवैये के कारण एक और योजना बस कागजों पर ही सिमट कर रह गई है.
निगम के ढुल-मुल रवैये से शहरवासी उदास
निगम के इस पहल पर तब लोगों ने भी खुशी जाहिर की थी. लोगों का कहना था कि अगर पटना नगर निगम द्वारा लोगों को कम पैसों में साइकिल उपलब्ध हो जाता है, तो पटना में प्रदूषण का स्तर गिरेगा. लेकिन योजना की मंजूरी मिले 6 महीने हो गए राजधानी का प्रदूषण स्तर तो नहीं गिरा. लेकिन निगम के सुस्त रवैये ने लोगों का मनोबल गिरा दिया. शहरियों ने कहा कि निगम की योजना तो बस कागजों तक होती है. जमीन पर तो उसका एक प्रतिशत भी नहीं दिखता.
नगर विकास एवं आवास विभाग से नहीं मिली अबतक स्वीकृति-हिमांशु शर्मा
वहीं, निगम की इस योजना को लेकर ईटीवी भारत ने पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा से बात की. उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि, 'निगम द्वारा इस योजना की स्वीकृति के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग के पास भेजा गया है. विभाग से स्वीकृति मिलते ही पीपीपी मोड के तहत इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा'.