पटना: राजधानी में स्ट्रीट डॉग्स लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. हर समय डर बना रहता है कि कहीं कुत्ता काट ना ले. वहीं निगम प्रशासन ने आवारा कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए 2 साल पहले नसबंदी कराने की योजना बनाई थी जो अभी तक धरातल पर उतरती ही नहीं है.
'नींद में खलल डालती है भौंकने की आवाज' यह भी पढ़ें-RJD में बड़े 'भूकंप' के आसार! सुशील मोदी का दावा- घुटन महसूस कर रहे कई विधायक
कुत्तों की नसबंदी की योजना अधर में
एक तरफ कुत्तों के डर के साये में लोग रह रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ दो साल पहले निगम प्रशासन द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी कराने की योजना बनी थी, लेकिन यह योजना भी ठप पड़ी हुई है. नगर निगम का कहना है कि वो जल्द ही इस समस्या का समाधान ढूंढ़ लेंगे.
कुत्तों की नसबंदी की योजना अधर में कुत्तों के कारण हो रही दुर्घटनाएं
पटना के अधिकांश चौक चौराहे, गली-मोहल्लों को आवारा कुत्तों ने अपना बसेरा बना लिया है. जिसकी वजह से लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत रात को बाइक चलाने वालों को हो रही है. हर रोज कोई न कोई कुत्ते के काटने से अस्पताल पहुंच रहा है.
आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित करना जरुरी 'नींद में खलल डालती है भौंकने की आवाज'
राजधानी वासियों की मानें तो आवारा कुत्तों से उन्हें रात में बहुत ज्यादा परेशानी होती है. डर रहता है कि कहीं कुत्ते काट ना लें. साथ ही आधी रात को इनके भौंकने के कारण लोगों की नींद में भी खलल पड़ती है. स्थानीय बताते हैं कि इन कुत्तों की वजह से आए दिन सड़कों पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन निगम प्रशासन इन कुत्तों पर पाबंदी अभी तक नहीं लगा पाया है.
कुत्तों के कारण होती हैं दुर्घटनाएं यह भी पढ़ें-गोपालगंज: जहरीली शराब पीने से 2 मजदूरों की मौत, एक की हालत गंभीर
तेजी से बढ़ रही है स्ट्रीट डॉग्स की संख्या
शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या को लेकर निगम प्रशासन द्वारा दो साल पहले सर्वे में मामला सामने आया था कि शहर में लगभग 1 लाख 90 हजार आवारा कुत्ते हैं. दो साल में ये संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है.
अधर में लटकी कुत्तों की नसबंदी योजना 'आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और इनसे होने वाली परेशानियों को लेकर निगम गंभीर है. कुत्तों की जनसंख्या को रोकने के लिए निगम प्रशासन की तरफ से उनकी नसबंदी कराने को लेकर योजना बनाई गई है. लेकिन यह योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई. इसके पीछे सरकार का बहुत बड़ा हाथ है . क्योंकि निगम प्रशासन की तरफ से आवारा कुत्तों को रखने के लिए जो जगह चिन्हित किया गया था. उस जगह को सरकार ने हमसे ले लिया.'- इंद्रदीप चंद्रवंशी, नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य
पटनावासी कुत्तों से हैं परेशान यह भी पढ़ें-बिहार में आज से शुरू हुई मैट्रिक की परीक्षा, 16.84 लाख परीक्षार्थी ले रहे हैं हिस्सा
जगह की है समस्या
निगम प्रशासन अब दूसरी जगह को चिन्हित करने में लगा हुआ है. आवारा कुत्तों की नसबंदी को लेकर एजेंसियों का चयन करने में भी निगम कार्य कर रहा है . निगम का दावा है कि बहुत जल्द एजेंसियों का चयन कर आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण पाने में कामयाबी मिलेगी.
'शहर में आवारा कुत्तों के आतंक से अगर लोगों को बचाना है. तो निगम, प्राइवेट संस्थानों के बजाय घरेलू पशु चिकित्सक से मदद लेकर इन आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित कर सकता है. हर कुत्ते के काटने से रेबीज नहीं होता. रेबीज की पहचान आम लोग भी कर सकते हैं.'- डॉ विकास शर्मा, पशु चिकित्सक
रेबीज के लक्षण
- कुत्तों की आंखों में पानी, मुंह में लार आता रहता है.
- ऐसा कुत्ता दूसरे कुत्तों पर भी अटैक करता है.
- लोगों की गाड़ियों पर अटैक करता है.
- कुत्ता अंधेरे की तरफ भागता है.
बढ़ सकती है समस्या
आपको बता दें कि नगर निगम की तरफ से दो साल पहले आवारा कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए कुत्तों की नसबंदी करने की योजना बनी थी. इसके लिए एनजीओ का चयन भी हो गया था. लेकिन कुत्तों की नसबंदी तो दूर निगम प्रशासन इन आवारा कुत्तों के लिए अस्थायी अस्पताल भी शुरू नहीं कर पाया. जिस तरह से शहर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है अगर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में समस्या और भी बढ़ सकती है.