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IMPACT: तेजस्वी ने की पूर्व सीएम भोला पासवान शास्त्री के परिजनों से बात, मदद में दिए 1 लाख रुपए

ईटीवी भारत ने पूर्णिया में रह रहे बिहार के पहले दलित सीएम भोला पासवान शास्त्री के परिवार की दयनीय स्थिति को लेकर प्रमुखता से खबर चलाई थी. इस खबर के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने न केवल पूर्व सीएम के परिजन से बात की. बल्कि उन्हें राशन के साथ-साथ अर्थिक सहायता राशि भी दी.

पटना
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Published : Jun 4, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 9:02 PM IST

पटना: 60 के दशक में बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री के परिवार की जिंदगी किसी तरह मुफलिसी में कट रही थी. कोरोना काल में घर के कमाने वालों सदस्यों की कमाई भी छिन गई थी. ऐसे में सीएम के परिवार की बेहद दयनीय स्थिति को लेकर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से खबर चलाई थी. ईटीवी भारत की खबर के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के संज्ञान में मामला आया. इसके बाद उन्होंने पूर्व सीएम के परिवार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की. इस मौके पर उन्होंने भोला पासवान शास्त्री के परिजन को एक 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी.

1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और दी पर्याप्त राशन
ईटीवी भारत की खबर के बाद नेता प्रतिपक्ष ने न केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूर्व सीएम के भतीजे विरंची से बात की. बल्कि उन्होंने उनके घर में राशन का इंतजाम भी करवाया. इसको लकेर तेज्सवी ने ट्वीट कर लिखा है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें 60 के दशक में बिहार के CM रहे स्व. भोला पासवान शास्त्री के परिवार के मुफलिसी के बारे में पता चला. जिसके बाद उन्होंने पूर्व सीएम के परिजन से बात कर 1 लाख की आर्थिक सहायता राशि और पर्याप्त राशन उनके घर पहुंचवाया.

ईमानदारी और देशभक्ती की मिसाल थे भोला पासवान शास्त्री
बता दें कि भोला पासवान शास्त्री बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री थे. साल 1968 में वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद वे 1969 में दोबारा मुख्यमंत्री बने. तीसरी बार उन्होंने साल 1971 में बिहार की गद्दी संभाली थी. जनता के प्रति उनके समर्पण और सक्रियता का असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे सियासी सफर तय करते हुए केंद्रीय मंत्री ,राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और चार बार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने गए थे. वे एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे. वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे. उनका सियासी सफर निर्विवाद और उनका राजनीतिक जीवन बेदाग छवी की थी. भोला पासवान शास्त्री को सियासी जगत में उनकी सादगी, कर्मठता और ईमानदारी के लिए जाना जाता है. दलित समाज से आने वाले वह एक ऐसा व्यक्तित्व थे जो हमेशा उसूलों के पक्के और बेदाग रहे.

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भतीजे विरंची पासवान को मानते थे बेटा
भोला पासवान शास्त्री की अपनी कोई संतान नहीं थी. इस वजह से अपने भतीजे विरंची पासवान को बेटा मानते थे. उनके दिवगंत होने पर भतीजे विरंची पासवान ने ही उनका अंतिम संस्कार किया. 60 के दशक में जब देश जात-पात के दलदल में फंसा था. जिले के नगर प्रखंड स्थित बैरगाछी ने बिहार को पहला दलित मुख्यमंत्री दिया. गणेशपुर पंचायत की गलियों में ही भोला पासवान शास्त्री का बचपन बीता. मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास अपनों को देने के लिए मामूली सी चटाई के अलावे कुछ नहीं था. उनकी ईमानदारी का नतीजा ही रहा कि बिहार की जनता ने उनको 3 बार नेतृत्व सौंपी.

ईटीवी भारत की खबर

लाॉकडाउन में भोजन पर लगा था ग्रहण
लॉकडाउन में रोजाना खाने-कमाने वाले इस परिवार के सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया. इसके बाद पूर्व सीएम के भतीजे विरंची के परिवार के सामने भुखमरी की नौबत आ गई थी. मजदूरी कर खाने कमाने वाले विरंची के बेटों को शहर से वापस लौटना पड़ा था. 25 सदस्यों वाले इस परिवार को आज तक कोई बड़ी मदद नहीं मिली थी. जिसके बाद से घर का चुल्हा ठंढ़ा पड़ा हुआ था. सीएम के परिवार के परेशानियों को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से चलाई थी. जिसके बाद यह खबर नेता प्रतिपक्ष तक पहुंची और उन्होंने पूर्व सीएम के परिवार को ना केवल 1 लाख की सहायता राशि दी, बल्कि पर्याप्त मात्रा में राशन भी उपलब्ध करवाया.

Last Updated : Jun 4, 2020, 9:02 PM IST

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