पटना : कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में 3 मई तक लॉक डाउन लागू किया गया है. पीएम मोदी के इस आह्वान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि लॉकडाउन तो ठीक है, लेकिन गरीबों का पूरा ध्यान सरकार को रखना होगा. गरीब कोरोना से तो नहीं भूख से मर जाएगा.
तेजस्वी यादव ने कहा कि ये बीमारी लेकर हवाई जहाज वाले लेकर आये हैं और भुगतना पैदल चलने वालों को पड़ रहा है. कोरोना लेकर आये पासपोर्ट वाले अमीर और भुगतना पड़ रहा है बीपीएल और राशन कार्ड वालों को पड़ रहा है. अमीरों की शानो शौकत और बीमारी, परेशानी बेचारे गरीब भुगत रहे हैं.
तेजस्वी ने जारी किया वीडियो तेजस्वी ने की अपील...
तेजस्वी ने कहा कि ऐसे में सरकार 500 रुपये और मुठ्ठी भर दाल देकर बहलाना चाहते हो. मैं सरकारों से हाथ जोड़कर कह रहा हूं कि कोरोना से मरे न मरे, अगर करोड़ों गरीब लोगों का इंतजाम नहीं हुआ, तो वो भूख से जरूर मर जाएंगे. ऐसे में उनका खास ख्याल रखा जाये.
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तेजस्वी ने हाथ जोड़कर कहा कि एक छोटे से रूम में 20 से अधिक गरीब मज़दूर रहते हैं. क्या सरकार नहीं जानती, वहां कैसी सोशल डिस्टेसिंग है? 100 मजदूर एक शौचालय का प्रयोग करते हैं. अगर, उन्हें देशभर में खड़ी रेलगाड़ियों में सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखकर वापस घर भेज दिया जाए तो क्या दिक्कत है? हमारे कार्यालय से दिनभर में हजारों मजदूरों से बात कर उनकी मदद की जा रही है. अब उनके पास पैसा, राशन-पानी कुछ नहीं है. जिनके पास है वो भी अपने घर जाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि इस देश में अमीर और गरीब के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकता? बिहार सरकार तुरंत गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब सरकारों से बात कर सभी बिहारियों को वापस लाएं. संकट की घड़ी में हम उन्हें ऐसे नहीं छोड़ सकते. यह सरकार की नैतिक जिम्मेवारी है.
तेजस्वी ने कहा कि दिल्ली से यूपी और बिहार में लाखों मजदूर आए? क्या उनमें से कोई एक भी पॉजटिव केस मिला? आपसे हाथ जोड़कर आग्रह है कि सभी को अपने प्रदेश वापस बुलाइए, उनको क्वारांटाइन करिए, टेस्ट कराइए लेकिन बुलाइए. मुसीबत की घड़ी में हर कोई अपने घर लौटना चाहता है.
केंद्र से बात करें सीएम नीतीश
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश जी, आप देश के वरिष्ठतम नेता हैं. हर जगह गठबंधन सरकारें हैं, जब उतराखंड में फंसे हजारों गुजरातियों को डीलक्स बस का विशेष इंतजाम करके अहमदाबाद ले जाया जा सकता है, तो गरीब बिहारियों को 21 दिनों बाद भी साधारण ट्रेन में वापस क्यों नहीं लाया जा सकता? कृपया केंद्र सरकार से बात कर कोई रास्ता निकालिए.