पटना:विदेशों में खेले जाने वाला रग्बी भारत में ज्यादा चर्चित नहीं है. यही कारण है कि यहां के लोगों में इसका ज्यादा क्रेज भी नहीं है. बावजूद इसके बिहार की 19 साल की स्वीटी कुमारी ने एथलेटिक्स छोड़कर रग्बी को चुना देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है.
स्वीटी को सम्मान देता परिवार इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर से सम्मानित
19 साल की स्वीटी कुमारी पटना की बाढ़ तहसील से आती हैं. स्वीटी ने रग्बी के खेल में न सिर्फ अपने राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है. इसके लिए स्वीटी कुमारी को 'इंटरनेशनल यंग प्लेयर ऑफ द ईयर 2019' के अवॉर्ड से नवाजा गया है. दुनिया भर से इस अवॉर्ड के लिए 10 लोगों को नॉमिनेट किया गया था, जिसके बाद पब्लिक पोल के जरिए स्वीटी को चुना गया.
स्वीटी को मिले हैं कई सम्मान ऐसे शुरू हुआ सफर
स्वीटी को बचपने से ही खेलने का शौक था. अपने स्कूल में उन्होंने 100 मीटर की दौड़ को 11.58 सेकेंड में पूरा किया था. इसके बाद उन्होंने जिला और राज्य स्तर पर कई तरह के दौड़ों में हिस्सा लिया. इसके बाद से ही उन्होंने अपने इस तेज रफ्तार का इस्तेमाल रग्बी में किया. स्वीटी ने 2019 में एशियन यूथ एंड सीनियर रग्बी चैंपियनशिप में बेस्ट प्लेयर का खिताब भी जीता था.
क्या है स्वीटी का फैमली बैकग्राउंड
रग्बी स्टार स्वीटी सामान्य परिवार से आती हैं. स्वीटी के पिता मजदूर हैं और मां आंगनवाड़ी सेविका हैं. स्वीटी के कुल सात भाई बहने हैं, जिनमें वो पांचवे नंबर पर आती हैं. स्वीटी के बड़े भाई भी एथलीट रह चुके हैं. हांलांकि कड़ी मेहनत पड़ने के कारण बाद में उन्होंने उन्होंने खेलों से अपने कदम वापस ले लिए.
भारत की स्कोरिंग मशीन है स्वीटी
स्वीटी की कामयाबी के कारण ही बिहार में रग्बी को क्रिकेट और हॉकी के बराबरी का दर्जा मिला. यही नहीं स्वीटी के कड़ी मेहनत से इसे सरकारी नौकरी के दायरे में भी शामिल किया गया. स्वीटी की रफ्तार को देख कर उनकी टीम के साथी खिलाड़ी उन्हें भारत की स्कोरिंग मशीन कहते हैं.
परिवार वालों के साथ स्वीटी 'तेज रफ्तार ईश्वर का उपहार'
वहीं, स्वीटी बताती हैं कि तेज रफ्तार उन्हें ईश्वर ने उपहार के तौर पर दिया है. उन्होंने कहा कि इस मुकाम को हासिल करने में हमें बहुत कठिनाईयां हुईं, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी.