पटना: उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आपदा कोष की राशि का अनुपात 75-25 से बदल कर उत्तर-पूर्व के राज्यों की तरह 90-10 करने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण राज्यों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि बिहार को सालों भर बाढ़, सूखा और अन्य कई आपदाओं से जूझना पड़ता है. इस वजह से बिहार को हर साल अपने खजाने से काफी बड़ी राशि राहत और बचाव पर खर्च करनी पड़ता है. सुशील मोदी ने आपदा राहत कोष की राशि का मदवार वर्गीकरण को भी समाप्त करने की मांग की है.
'बिहार को मिला था कम राशि'
सुशील मोदी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में आपदा राहत कोष में 1,888 करोड़ का प्रावधान किया गया है. जिसमें केन्द्रांश 1,416 करोड़ और बिहार का अंशदान 472 करोड़ है. अगर केन्द्र इस अनुपात को 75-25 से बदल कर 90-10 कर देता है, तो बिहार को राज्यांश मद में केवल 188 करोड़ ही देना होगा. उन्होंने आगे कहा कि बिहार सरकार को वर्ष 2019-20 में आपदा राहत पर 3,528 करोड़ और वर्ष 2017-18 में 3,469 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे. जबकि इसकी तुलना में वित्त आयोग की अनुशंसा पर केन्द्र से बिहार को काफी कम राशि मिली थी. जिस वजह से राज्य सरकार को अपने बजट से बहुत बड़ी राशि को खर्च करना पड़ा था.
सुशील मोदी ने केंद्र को लिखा पत्र 'राशि के मदवार वर्गीकरण हो समाप्त'
उपमुख्यमंत्री ने आपदा राहत कोष की राशि के विभिन्न मद वर्गीकरण को भी समाप्त करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि इस वर्गीकरण के कारण राज्य को कुल राशि का राहत मद में 40 प्रतिशत और आधारभूत संरचना के पुनर्निमाण आदि पर 30 फीसदी खर्च करने की बाध्यता है. इसको समाप्त करने पर राज्य अपनी प्रथमिकताओं को आधार पर राशि को खर्च कर सकेगा.
'नुकसान राशि भरपाई को बढाने की मांग'
इसके अलावे सुशील मोदी ने अनुग्रह अनुदान के तौर पर पीड़ितों को दिए जाने वाले 6-6 हजार रुपये में राहत कोष से 25 प्रतिशत और राहत शिविरों में रहने वालों को ही अनुदान की राशि देने की बाध्यता हटाने की मांग की है. उन्होंने मछली उत्पादकों को हुए नुकसान की भरपाई, क्षतिग्रस्त कच्चे-पक्के मकानों के ध्वस्त होने पर दी जाने वाली 95 हजार 100 और क्षतिग्रस्त होने पर दी जाने वाली 52 सौ रुपये की राशि को भी बढ़ाने की मांग की है.