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पटना में साइंस चैंपियनशिप 2.0 का आयोजन, छात्रों ने एक से बढ़कर एक प्रदर्शनी लगाकर अपनी प्रतिभा का मनवाया लोहा

Science Championship Organized In Patna: पटना के एक निजी स्कूल में साइंस चैंपियनशिप 2.0 का आयोजन गुरुवार को किया गया. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के द्वारा अपने-अपने मॉडल का डेमो दिया गया. इस चैंपियनशिप में राज्य के लगभग 35 स्कूलों ने भाग लिया.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 30, 2023, 7:59 PM IST

साइंस चैंपियनशिप 2.0 का आयोजन

पटना: पटना के श्री कृष्ण विज्ञान केंद्र में साइंस चैंपियनशिप 2.0का आयोजन गुरुवार को किया गया. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के द्वारा अपने-अपने मॉडल का डेमो दिया गया. बता दें कि राज्य के 35 से अधिक स्कूलों के साथ 90 टीम में 280 छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने मॉडल को प्रदर्शित किया. बिहार में जलवायु परिवर्तन, जल जीवन हरियाली, बढ़ते प्रदूषण को कैसे कंट्रोल किया जाए इसका मॉडल बनाकर प्रदर्शनी लगाई.

साइंस चैंपियनशिप 2.0 का आयोजन: साइंस चैंपियनशिप 2.0 में खास करके नवमीं और दसवीं के छात्रों ने भाग लिया और अपने मॉडल को प्रदर्शित करके सभी लोगों को प्रभावित किया. इस दौरान छात्र-छात्राओं की एक से बढ़कर एक प्रतिभा देखने को मिली. वहीं उनके द्वारा बनाया गया मॉडल आकर्षण का केंद्र बना रहा.

बच्चों ने बनाया बेहतरीन मॉडल:पटना के एक निजी स्कूल के छात्र ने ऐसा मॉडल बनाया जिससे बारिश के पानी को भी बर्बाद होने से रोका जा सकता है. उसने अपने मॉडल के माध्यम से दिखाया कि बारिश का पानी एक गड्ढे में एकत्रित करके कैसे उसका फिर से उपयोग कर सकते हैं. इस पानी का उपयोग कर खेत में पटवन, गाड़ी धोने या फूल पौधे में पानी दिया जा सकता है.

छात्रों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति ने की तारीफ: छात्र-छात्राओं के मॉडल को देख पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरके सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बिहार के बच्चे अपने दिमाग के बदौलत देश और दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिए इस तरह का आयोजन किया जाता है.

"कोशिश यही होनी चाहिए कि बच्चों की जो कार्य शैली है, उसे कैसे डेवलप किया जाए.छात्रों में विज्ञान की जरूरत है, विज्ञान के बिना जीवन अधूरा है. राजधानी के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह का कार्यक्रम होना चाहिए, ताकि गांव के बच्चों की भी प्रतिभा निखर कर सामने आए."- डॉ आरके सिंह, कुलपति, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय

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