पटना: पाटलिपुत्र विवि में पिछले 24 घंटों से छात्र धरने पर बैठे हैं. जानकारी के मुताबिक धरने पर बैठे छात्रों को नजरबंद कर दिया गया है. मेन गेट में ताला लगा दिया गया है. साथ ही ना किसी छात्र को बाहर जाने दिया जा रहा है और ना ही किसी को उनसे मिलने दिया जा रहा है.
छात्रों का आरोप
छात्रों का आरोप है कि धरना पर बैठे सभी छात्रों को मंगलवार शाम से ही नजरबंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र विवि संवेदनहीन हो चुका है. कॉलेज परिसर में हमारे लिए बेड शीट तक नहीं लाने दिया जा रहा है. छात्र नेता ने कहा कि कई बार खाने का सामान लाने से रोका गया है. उन्होंने कहा कि वह धरना पर बैठे हैं, न कि भूख हड़ताल पर. बातचीत करने के लिए कोई तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि करीब 700 छात्रों का भविष्य अधर में लटका है.
पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट क्या कहते हैं कुलपति?
वहीं, इस पूरे मामले में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चौधरी ने साफ कहा है कि यह धरना नियम संगत नहीं है और नीतिगत नहीं है. यह मामला पहले से ही कोर्ट में लंबित है और जो मामला कोर्ट में लंबित होते हैं उस मामले में कोई भी दखलंदाजी नहीं कर सकता है. उन्होंने धरना पर बैठे छात्रों को समझाने की कोशिश की. लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं है.
'अपनी मर्जी से करवाए एडमिशन'
कुलपति गिरीश चौधरी ने कहा कि नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी की ओर से संयुक्त प्रवेश परीक्षा ली गई थी. काउंसलिंग के दौरान जिन कॉलेजों में छात्रों को चयन किया गया था, उन कॉलेजों में एडमिशन नहीं करा कर दूसरे कॉलेजों में अपनी मर्जी से एडमिशन करवा लिए. जिस वजह से नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी की जांच में अयोग्य हो गये हैं.
क्या है मामला?
नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के अंतर्गत छात्रों का पंजीयन विभिन्न कॉलेजों में हो चुका है. इसके बावजूद सत्र 2018- 20 के बीएड छात्रों को प्रथम वर्ष की परीक्षा से वंचित किया गया है. जिसको लेकर छात्र संगठन की ओर से पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय परिसर में मंगलवार 11 बजे से ही धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.