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सुशील मोदी या संजय जायसवाल? किसे मिलेगी केंद्रीय कैबिनेट में जगह, सस्पेंस बरकरार

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) में जगह पाने के लिए भाजपा के दो दिग्गज नेता संघर्षरत हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के साथ सुशील मोदी के करीबी रिश्ते हैं. जिसका उन्हें फायदा मिल सकता है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Central Cabinet Expansion
Central Cabinet Expansion

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Published : Jun 22, 2021, 7:52 PM IST

पटना:केंद्रीय मंत्रिमंडल(Central Cabinet) का विस्तार होना है. सहयोगी दलों के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करना है. वहीं दूसरी तरफ भाजपा कोटे से भी नेता मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं. बिहार के दो दिग्गज नेता मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए संघर्षरत हैं.

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नए चेहरे को मिल सकती है शामिल
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. मंत्रिमंडल में जेडीयू को भी जगह मिल सकती है. बिहार भाजपा से भी नेताओं को जगह मिल सकती है. कुछ पुराने चेहरे ड्रॉप हो सकते हैं. तो कुछ नए चेहरे को शामिल किया जा सकता है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) और पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Modi) एक ही समुदाय से आते हैं.

सुशील मोदी के पास प्रशासनिक अनुभव
दोनों में किसी एक को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है. दोनों नेता जोर आजमाइश कर रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के पास प्रशासनिक अनुभव है. लंबे समय तक उपमुख्यमंत्री के रूप में सुशील मोदी ने काम किया है. इसके अलावा वित्तीय मामलों के जानकार भी माने जाते हैं. जीएसटी काउंसिल में भी सुशील मोदी पद पर रहे हैं.

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सुशील मोदी के करीबी रिश्ते
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के साथ सुशील मोदी के करीबी रिश्ते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशील मोदी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दिलाना चाहेंगे. अगर सुशील मोदी को मंत्री बनाया जाता है तो वैसी स्थिति में नीतीश कुमार के लिए भी केंद्र के साथ सामंजस्य बिठाना आसान हो जाएगा. सुशील मोदी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति से निकल कर आए हैं.

मार्च में खत्म हो रहा है कार्यकाल
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में नंबर दो दत्तात्रेय हसोले के साथ सुशील मोदी के करीबी रिश्ते हैं. उनका समर्थन भी सुशील मोदी को मिल सकता है. दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल अगले साल मार्च महीने में खत्म हो रहा है और नए अध्यक्ष की ताजपोशी भी हो सकती है. संजय जायसवाल भी चाहते हैं कि कार्यकाल पूरा होने से पहले उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए.

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भूपेंद्र यादव का मिल सकता है समर्थन
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली जीत का क्रेडिट संजय जायसवाल को मिलना तय है और पुरस्कार स्वरूप उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. संजय जायसवाल, भूपेंद्र यादव और नित्यानंद राय एक ही खेमे के नेता माने जाते हैं.

भूपेंद्र यादव का समर्थन भी संजय जायसवाल को मिल सकता है. संजय जायसवाल अमित शाह (Amit Shah) के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में संजय जायसवाल का दावा भी मजबूत दिखाई पड़ता है.

भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल

"मंत्रिमंडल विस्तार होना है. बिहार से भी कुछ नेताओं को शामिल किया जा सकता है. भाजपा कोटे के दो कद्दावर नेता संजय जायसवाल और सुशील मोदी रेस में हैं. दोनों अगर मंत्रिमंडल में शामिल हो जाएं, तो बहुत अच्छा है. लेकिन अगर किसी भी को भी जगह मिलती है, तो इससे बिहार का भला होगा"- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

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"सुशील मोदी और संजय जायसवाल में किसी एक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. संजय जायसवाल को जहां भूपेंद्र यादव के करीबी होने का फायदा मिल सकता है तो, दूसरी तरफ सुशील मोदी को नीतीश कुमार के करीबी होने का फायदा मिल सकता है. लेकिन अंतिम फैसला तो प्रधानमंत्री को करना है"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा जोरों पर है. यूपी चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. बिहार से भी कई चेहरे इस बार दावेदार हैं. जदयू (JDU) भी इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी कर रहा है.

जदयू खेमे से काफी समय से ललन सिंह, आरसीपी सिंह और संतोष कुशवाहा की चर्चा है. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सुशील मोदी जैसे बीजेपी के बड़े चेहरे दावेदार के रूप में हैं.

जेडीयू-बीजेपी का पुराना रिश्ता
जेडीयू और बीजेपी 2005 से बिहार में सरकार चला रहे हैं. वहीं, वाजपेयी सरकार में जेडीयू को संख्या बल के हिसाब से जगह भी मिली थी, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो उस समय जेडीयू बिहार में बीजेपी से अलग थी. हालांकि, 2017 में जरूर फिर से बीजेपी के साथ सरकार बनी, लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली.

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उसके बाद 2019 के चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला. लेकिन जेडीयू को केवल एक मंत्री पद दिया जा रहा था. जिस वजह से बात नहीं बन पाई थी.

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