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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः जज्बे को सलाम, वर्षों से स्लम बस्ती में शिक्षा का अलख जगा रही कांति

कांति कुमारी ने बताया कि परिवार की माली हालत खराब होने बावजूद कुछ करने के लिए मैंने मन में ठान लिया था. उन्होंने बताया कि ससुराल आने के बाद महादलित बस्ती में बच्चों को देखकर वह बहुत ही चिंतित रहती थी. इसके बाद उन्होंने शुरुआती दौर में कुछ बच्चों को इकट्ठा करके पढ़ाना शुरू कर दिया.

free education for childrens
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Published : Mar 8, 2021, 12:13 PM IST

पटनाः पूरे विश्व में आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसमनाया जा रहा है. देश भर में महिलाओं के मान सम्मान की सुरक्षा को लेकर चर्चा हो रही है. बिहार की कई ऐसी महिलाएं हैं जो अपने काम से समाज में सुधार लाने की कोशिश कर रही हैं. इन्हीं में एक धनरूआ प्रखंड के नदपुरा मठ गांव की कांति कुमारी हैं. कांति स्लम बस्ती के बच्चों के बीच निःशुल्क शिक्षा का अलख जगा रही हैं.

स्लम बस्ती के बच्चों को कर रही हैं शिक्षित
कांति कुमारी पिछले पांच सालों से स्लम बस्ती के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही हैं. धनरूआ प्रखंड के नदपुरा मठ गांव की कांति कुमारी वैसे बच्चे जो स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं, उन्हें पढ़ाकर शिक्षित कर रही हैं.

"बचपन में ही हमारी शादी हो गई थी. इसकी वजह से मेरे खई सपने अधूरे रह गए. हालांकि जैसे तैसे हमने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद से ही पढ़ाई से वंचित बच्चों को पढ़ाने का ख्याल मेरे मन में आया. पढ़ लिखकर बच्चे बहुत कुछ बदल सकते हैं."-कांति कुमारी, शिक्षिका

देखें रिपोर्ट

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'बच्चों को देखकर होती थी चिंता'
कांति कुमारी ने बताया कि परिवार की माली हालत खराब होने बावजूद कुछ करने के लिए मैंने मन में ठान लिया था. उन्होंने बताया कि ससुराल आने के बाद महादलित बस्ती में बच्चों को देखकर वह बहुत ही चिंतित रहती थी. इसके बाद उन्होंने शुरुआती दौर में कुछ बच्चों को इकट्ठा करके पढ़ाना शुरू कर दिया.

मजदूरी करके परिवार का लालन पालन करते हैं पति
गरीब बच्चों में शिक्षा का अलख जला रही कांति कुमारी के पति मजदूरी करके परिवार का लालन पालन करते हैं. वहीं कांति कुमारी पिछले 5 सालों से विभिन्न महादलित बस्तियों में जा-जाकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर ईटीवी भारत कांति कुमारी के जज्बे को सलाम करता है, जो कई तरह की परेशानियों से जूझते हुए बच्चों में शिक्षा का अलख जगा रही हैं.

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