पटना :कोरोना महामारी के चलते केंद्र सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) का स्वरूप बदल दिया. पीएम मोदी की सरकार ने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए भी कई घोषणाएं की. ऐसे में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम से जुड़े व्यवसायियों में खुशी की लहर दौड़ गई. लेकिन बिहार अभी भी कोरोना और बाढ़ को झेलते हुए उसी दहलीज पर खड़ा है, जहां इन घोषणाओं से पहले खड़ा था.
देश में कुल मिलाकर 6 करोड़ 33 लाख 88 हजार एमएसएमई यूनिट हैं. वहीं बिहार में इसकी संख्या महज 25 हजार है. वैसे रजिस्ट्रेशन के मामले में बिहार ने महाराष्ट्र जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. बिहार में एमएसएमई के तहत सितंबर 2015 से लेकर अब तक कुल 9 लाख 19 हजार 335 उद्यमियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है और ये आंकड़ें हर रोज बढ़ रहे हैं.
कैसे अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है एमएसएमई
- एमएसएमई से देश में 45 प्रतिशत रोजगार सृजित होता है.
- देश की जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत एमएसएमई नियंत्रित करता है.
- देश के बाहर होने वाला निर्यात का 50 प्रतिशत निर्यात सूक्ष्म, लघु एव मध्यम उद्यम करता है.
- देश में 90 प्रतिशत उद्योग एमएसएमई के तहत आते हैं.
- 6 हजार 500 से ज्यादा वस्तुओं का उत्पादन इसी के एमएसएमई के तहत होता है.
क्या बदलाव हुए
केंद्र सरकार ने एमएसएमई पर लगने वाले टैक्स में छूट देते हुए बड़ा बदलाव किया है. सूक्ष्म उद्योगों के लिए जो टैक्स 25 लाख के निवेश पर लगता था, वो बढ़ाकर 1 करोड़ पर कर दिया गया है. वहीं, लघु उद्योगों की पर ये टैक्स 10 करोड़ और मध्यम उद्योगों के लिए टैक्स अब 50 करोड़ के निवेश पर टैक्स लिया जाएगा.
MSMEs अर्थव्यवस्था की रीढ़ लोन पर भी छूट
केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज के एक हिस्से के रूप में गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट लाइन की घोषणा की थी. इसके तहत एमएसएमई सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के लोन की गारंटी दी गई है. मानें कि बैंक छोटे उद्यमियों को कोलेट्रल फ्री लोन देने के लिए बाध्य होंगे.
बिहार के हालात
कोरोना काल के दौरान बिहार में 30 लाख प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. ऐसे में बिहार के लिए एमएसएमई के तहत किये गए केंद्र सरकार का ऐलान नाकाफी साबित हो रहा है. उद्योगपतियों से लेकर अर्थशास्त्री और सत्तारूढ़ दल जदयू भी सरकार से बिहार के लिए अलग से घोषणा की मांग कर रहे हैं.
MSMEs अर्थव्यवस्था की रीढ़ विपक्ष ने पैकेज को बताया, 'छलावा'
राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस पैकेज की घोषणा की है, वो छलावा है. बिहार के हिस्से में अब तक कुछ भी नहीं आया है. सरकार सिर्फ घोषणाएं करती हैं.
हो तो गया समस्या का समाधान- बीजेपी
आर्थिक मामलों के जानकार और भाजपा के मुख्यालय प्रभारी सुरेश रुंगटा ने कहा है कि बिहार के एमएसएमई के सामने सबसे बड़ी समस्या कर्ज को आसानी से उपलब्ध कराना था. जिसका मोदी सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपए की गारंटी मुक्त कर देने की व्यवस्था कर समाधान कर दिया. 70 हजार करोड़ रुपए का एक फंड बनाया गया है, जो 20 हजार करोड़ रुपए कोरोना संक्रमण की वजह से विपत्ति में घिरे उद्यमों को फिर से खड़ा करने तथा 50 हजार करोड़ रूपए एमएसएमई के विस्तार हेतु दिया गया है. इसके अलावा कृषि कार्य हेतु किसानों को और अधिक कार्य आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए 30 हजार करोड रुपए का एक फंड नाबार्ड को उपलब्ध कराया गया है.
MSMEs अर्थव्यवस्था की रीढ़ 'दिखाई देंगे दूरगामी प्रभाव'
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रामलाल खेतानका कहना है कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किए हैं. उसका लाभ ज्यादातर लोगों को मिला है पैकेज के परिणाम दूरगामी होते हैं. लिहाजा, नतीजे कुछ समय बाद दिखने लगेंगे.
उद्योगपति आशीष रोहतगी का मानना है कि केंद्र के फैसले से बिहार के 95% उद्योग एमएसएमई के अंदर केंद्र सरकार ने जो फंड घोषित किया है. उसे जल्द लागू कर दिया जाएगा, तो उद्योग पतियों को उससे बड़ी राहत होगी.
MSMEs अर्थव्यवस्था की रीढ़ एक और पैकेज का हो ऐलान- चेयरमैन, फूड प्रोसेसिंग यूनिट
बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट के चेयरमैन सत्यजीत सिंह ने कहा है कि पीएम मोदी के पैकेज से उद्योगों को राहत मिली है. लेकिन अभी उद्योगों को पटरी पर आने में समय लगेगा. अब तक 20% डिमांड ही बढ़े हैं, ऐसे में केंद्र सरकार को एक और पैकेज उद्योगों के लिए घोषित करना चाहिए.
बिहार के प्रवासी मजदूरों को देखे सरकार- श्याम रजक
बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री केंद्र के पैकेज को लेकर मुखर थे. श्याम रजक ने कई बार यह सवाल उठाया था कि केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि पैकेज में बिहार का हिस्सा क्या है और क्या बिहार को प्रवासी मजदूरों को लेकर अतिरिक्त सहायता मिलेगी.
बाद में बताऊंगा बिहार को क्या मिला- उद्योग मंत्री
उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा है कि बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और मेरे पास काम करने के लिए अल्प समय है. मैं समीक्षा बैठक कर पूरे मामले को देखूंगा और तब फिर बताऊंगा कि पैकेज में बिहार का हिस्सा क्या है.
कोरोना ने थामी मध्यम उद्योगों की रफ्तार ऊंट के मुंह में जीरा- अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर का कहना है कि सरकार ने जो पैकेज घोषित किया गया है. वो ऊंट के मुंह में जीरा है. उद्योगों के लिए 0.93 प्रतिशत सपोर्ट घोषित किया गया है. अगर, हम आंकड़ों को देखते तो एक एमएसएमई इंडस्ट्री के ऊपर सिर्फ 93 हजार रुपये की सहायता राशि दिखाई देती है.
MSMEs अर्थव्यवस्था की रीढ़ केंद्र सरकार से ही आस
बहरहाल, बिहार में बेरोजगारी के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. लंबे समय से बड़े पैमाने पर चला आ रहा पलायन थमा नहीं है. कोरोना महामारी बिहार में तेजी से पांव पसार चुकी है, तो वहीं बाढ़ का प्रकोप भी राज्य झेल रहा है. ऐसे में बस केंद्र सरकार से आस लगाना लाजमी हो जाता है क्योंकि बिहार में चुनाव हैं और उनकी तैयारियां भी जोरों पर.