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बोले 'जल पुरुष'- भारत में नदी जोड़ो परियोजना नहीं, समाज को नदियों से जोड़ा जाए - central government

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नदी जोड़ो परियोजना को लेकर जल पुरुष कहे जाने वाले राजेंद्र सिंह ने प्रतिक्रिया दी है.

नदी जोड़ो परियोजना

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Published : Feb 19, 2019, 8:43 PM IST

पटना:केंद्र सरकार की नदी जोड़ो परियोजना का विरोध किया जा रहा है. ये विरोध जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने किया है. उन्होंने कहा है कि भारत में नदी जोड़ो परियोजना नहीं बल्कि समाज के लोगों को नदी से जोड़ो ऐसी परियोजना होनी चाहिए.

पटना के गांधी संग्रहालय में जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभाव में अपने विचार प्रस्तुत कर रहे जल पुरुष ने नदी जोड़ो परियोजना पर अपनी राय रखी. साथ ही उन्होंने कहा किव भूतल जल संग्रहण की स्थिति काफी गंभीर है. इसके लिए केंद्र और राज्यों की सरकारों को गंभीर पहल करने की जरूरत है. इस दौरान उन्होंने बहुत विस्तार से अपने किए गए कामों की व्याख्या की.

राजेंद्र सिंह, जल पुरुष

राजस्थान में जलस्तर बढ़ाया हैं
जल पुरुष ने बताया कि किस तरह उन्होंने 35 वर्षों में तकरीबन 10 हजार किलोमीटर इलाके में जल संग्रहण कर वाटर लेवल सामान्य कर दिया. उन्होंने राजस्थान जैसे क्षेत्रों में ऐसा कर दिखाया है. राजेंद्र सिंह ने कहा कि नदियों को जोड़ने की सोच सरकार को हटा देनी चाहिए.

योजना को पहुंचाया ठंडे बस्ते में
राजेंद्र के मुताबिक, जब वो भारत सरकार के जल प्रबंधन प्राधिकरण में सदस्य थे, तब भी उन्होंने इसका विरोध किया और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था. सिंह का कहना है कि नदियों के प्रवाह को अविरल बनाने के लिए इसे समाज के लोगों से जोड़ने की बहुत जरूरत है.

पलायन की मुख्य वजह
राजेंद्र सिंह ने जलवायु परिवर्तन को पलायन का बहुत बड़ा कारण बताया है. उन्होंने कहा कि जब कोई इलाका पानी रहित हो जाता है, तो वहां रहना, खेती करना दूभर हो जाता है. इसके कारण उस इलाके के लोग मजबूरी में अपना घर-बार छोड़, रोजी- रोटी की चाहत में दूसरे शहर चले जाते हैं.

नीतीश कुमार का रुख सकारात्मक
राजेंद्र सिंह ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार नदियों की अविरलता पर काफी गंभीर है. नीतीश कुमार हमेशा से नदियों के लिए काफी सकारात्मक रुख अपनाते रहे हैं. गौरतलब है कि 2015 में सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार ने कई बार बिहार के इलाके में सीमावर्ती इलाकों में बने हुए डैम का पुरजोर विरोध किया था.

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