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बोले तेजस्वी- क्या चाहते हैं बूथ से वोटर सीधे चला जाए श्मशान, एक दिन में संभव नहीं हैं चुनाव - statement of tejashwi yadav

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में चुनाव की चल रही सुबुगाहट को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर कोरोना महामारी के दौर में चुनाव होते हैं, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी

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Published : Jul 15, 2020, 9:05 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में प्रदेशभर में लॉकडाउन लागू किया गया है. बावजूद इसके, बिहार में चुनावी सुबुगाहट तेज हैं. इस बाबत, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बिहार सरकार पर जमकर निशाना साधा है.

तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार सरकार क्वारंटाइन है और सरकार लाशों के ढेर पर राजनीति करना चाहती है. उन्होंने जदयू-बीजेपी की वर्चुअल रैली को लेकर कहा कि सरकार लाश के ढेर पर चुनाव कराना चाहती है. तेजस्वी ने कहा कि प्रदेशभर में आम तो छोड़िए खास तक कोरोना से ग्रसित हैं. क्या डीएम, क्या एसपी और खुद बीजेपी ऑफिस तक कोरोना पहुंच चुका है. ऐसे में सरकार को चुनाव की चिंता सता रही है.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता

बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था- तेजस्वी

  • तेजस्वी ने कहा कि लोग सड़कों पर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं.
  • ये लोग वर्चुअल रैली के बहाने वल्चर (गिद्ध) का काम कर रहे हैं.
  • लोगों की चिंता है, तो परंपरागत तरीके से चुनाव कराने की पहल करें.
  • लेकिन इन लोगों को कुर्सी की चिंता है, चुनावों की चिंता हैं.
  • ये लोग चाहते हैं कि मतदाता बूथ से सीधे श्मशान चला जाए.
  • बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में फिसड्डी राज्य है.
  • एक चरण में चुनाव कराने का मतलब 7 करोड़ वोटर हैं, जिनमें अगर आधे भी वोट डालने आते हैं, तो प्रभावित होंगे.

क्यों कैंसिल करा दिया पैक्स का चुनाव?
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव क्यों होते हैं, ताकि लोगों की जिंदगी अच्छी बनाई जाए. लेकिन यहां तो लोकतंत्र की जान खतरें में डाली जा रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा था तो क्यों पैक्स के चुनाव कैंसिल करा दिए गए. ये तो बड़ा चुनाव है. तेजस्वी ने अपनी राय देते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि बिहार में चुनाव कराने का ये सही समय है. वहीं, राष्ट्रपति शासन लागू करने के सवाल पर उन्होंने कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा.

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