पटना: भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि जब बिहार में एनआरसी नहीं लागू होना है, तो फिर एनपीआर की बात क्यूं की गई है. उन्होंने कहा कि एनपीआर किसी पैटर्न पर हो लेकिन वो एनआरसी से जुड़ा हुआ है. सेंसस (जनगणना) बिना एनपीआर के भी हो सकती है. अगर एनपीआर की बात है, तो निश्चित तौर पर ये एनआरसी से जुड़ा है. दीपांकर ने कहा कि सरकार की मंशा इस मामले में ठीक नहीं है क्योंकि एनपीआर होने के बाद किसी को भी अधिकारी संदेहास्पद नागरिक मान सकते हैं. जो लोगों के लिए घातक होगा.
बोले दीपांकर भट्टाचार्य- बिहार में NRC नहीं तो NPR की क्या जरूरत, सही नहीं है सरकार की मंशा
पटना पहुंचे भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत संवाददाता कुंदन कुमार से बात करते हुए बिहार सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा किया है. उनका कहना है कि जब बिहार में एनआरसी नहीं लागू हो रही, तो एनपीआर की क्या जरूरत है.
दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि 23 मार्च से पूरे बिहार में भाकपा माले यात्रा करेगी. इस यात्रा के जरिए केंद्र सरकार के बनाए गए नागरिकता संशोधन कानून सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे सभी मुद्दे पर सरकार को घेरा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह यात्रा 14 अप्रैल तक पूरे बिहार में चलेगी और उसके बाद 18 अप्रैल को गया में भाकपा माले रैली का आयोजन करेगा. उन्होंने कहा कि सभी मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार को जनता को जवाब देना ही होगा.
एकजुट हो कर बिहार में देंगे एनडीए को मात
वहीं, चुनावों को लेकर दीपांकर ने कहा कि वर्तमान सरकार सभी मोर्चे पर विफल है और निश्चित तौर पर इस बार विधानसभा चुनाव में विपक्ष को एकता दिखानी होगी. उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में निश्चित तौर पर महागठबंधन में एकता की कुछ कमी देखी गई थी. लेकिन इस बार हमारी कोशिश रहेगी कि महागठबंधन के सभी घटक दल एकजुट होकर एनडीए सरकार को उखाड़ फेंके.