पटना: अयोध्या में रामलला और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दे दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है. वहीं, कोर्ट ने मस्जिद के लिए अयोध्या में ही विवादित जगह से दूर 5 एकड़ जमीन देने का आदेश केंद्र सरकार को दिया है. इस जजमेंट के बाद अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रहे अचार्य किशोर कुणाल ने बड़ा ऐलान किया है.
बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के पूर्व अध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से अयोध्या विवाद के मुकदमे में पक्षकार रहे अचार्य किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर न्यास ट्रस्ट की ओर से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये दिए जाने की बात कही है. यानि कुल 10 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. कुणाल अभी अयोध्या में हैं.
किया कोर्ट के फैसले का स्वागत
कुणाल आचार्य ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे इस विवाद का अंत हो गया है. इससे अच्छा फैसला कोई नहीं हो सकता था. आचार्य कुणाल ने यह भी घोषणा कि की ट्रस्ट की ओर से अयोध्या में संचालित राम रसोई में रामलला के दर्शन के लिए आये सभी श्रद्धालुओं को निशुल्क भोजन कराया जाएगा.
निभाई थी अहम भूमिका
बता दें कि रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल साल 1990 से लेकर 1992 के बीच गृह मंत्रालय में विशेष पदस्थ अधिकारी थे और चंद्रशेखर सरकार के दौरान मंदिर-मस्जिद विवाद सुलझाने को लेकर दोनों समुदायों के बीच बातचीत में उन्होंने अहम भूमिका भी निभाई थी.
किशोर कुणाल का अयोध्या विवाद से संबंध
इस फैसले के बाद दिसंबर में हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी स्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया, तब से यथास्थिति बरकरार है. इस बीच बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व चेयरमैन किशोर कुणाल को राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद में एक पक्षकार बनाया गया. श्री राम जन्म भूमि पुनरोद्धार समिति की ओर से अयोध्या विवाद के मुकदमे में किशोर कुणाल पक्षकार हैं.
किशोर कुणाल की किताब: 'अयोध्या रीविजिटेड'
1972 बैच के पूर्व आईपीएस आचार्य किशोर कुणाल ने 'अयोध्या रीविजिटेड' किताब लिखी है. इस किताब में राम मंदिर से लेकर बाबरी मस्जिद तक के इतिहास पर कई चौंकाने वाले दावे किए गए हैं.
अयोध्या रीविजिटेड, किशोर कुणाल की किताब किताब का फॉर्वर्ड भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेबी पटनायक ने लिखा है और बकौल लेखक फॉर्वर्ड लिखने के लिए उन्होंने 14 महीने का समय लिया. फॉर्वर्ड लिखने से पहले जेबी पटनायक की शर्त थी कि वे मैनुस्क्रिप्ट पूरी पढ़ेंगे और तथ्यों की छानबीन से संतुष्ट होने के बाद ही लिखेंगे. कौन हैं किशोर कुणाल...
12 जून 1950 में आचार्य किशोर कुणाल का जन्म मुजफ्फरपुर में हुआ था. उन्होंने इतिहास और संस्कृत भाषा में पढ़ाई पूरी की. किशोर कुणाल सेवानिवृत भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और संस्कृत अध्येता हैं. वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और महावीर मन्दिर न्यास के सचिव भी हैं. साथ ही पटना के ज्ञान निकेतन नामक प्रसिद्ध विद्यालय के संस्थापक भी हैं.
किशोर कुणाल का कार्यकाल
किशोर कुणाल ने 20 साल की उम्र में आईपीएस क्वालीफाई कर लिया था. 1972 में कुणाल गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी बने. उनकी पहली पोस्टिंग आनंद में पुलिस अधीक्षक के रूप में थी.1978 तक वह अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने. 1983 में मास्टर की डिग्री पूरा होने के बाद कुणाल को पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था.