पटना: राज्य सरकार बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगाने में पूरी तरह फेल साबित हो रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकार अब तक केंद्र सरकार की ओर से पारित क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 लागू करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई है. मनमानी करने वाले प्राइवेट अस्पताल और शक्तिशाली मेडिकल लॉबी के दबाव में अभी तक इस बिल को लागू नहीं होने दिया गया है.
जानिए क्या है क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010
संसद की ओर से पारित इस एक्ट के अंतर्गत सभी क्लिनिकल संगठनों को विनियमित करने का प्रावधान है. सभी प्रतिष्ठानों को इसके तहत रजिस्टर कराना आवश्यक है. यह एक्ट सभी संस्थानों को आम लोगों और अलग-अलग हालातों के लिए दिशा निर्देश जारी करता है. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का प्रावधान है.
इन राज्यों में हो चुका है लागू
मार्च 2015 तक इसे अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने अपनाया है. लेकिन बिहार और दिल्ली में इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. इस एक्ट के लागू हो जाने के बाद प्राइवेट अस्पतालों की कमाई पर सीधा असर पड़ेगा. इस कानून में चिकित्सा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए सारे नियम कायदे हैं. जिसमें कोई डॉक्टर या अस्पताल मरीज से मनमानी नहीं कर सकता है, ज्यादा रकम नहीं वसूल सकता है. इस एक्ट में मरीजों को संरक्षण देने और चिकित्सा प्रणाली को विकसित करने पर विशेष चर्चा की गई है.
क्या है जानकारों का कहना
जानकारों के मुताबिक रेट आउट ऑफ कंट्रोल होने के दो प्रमुख कारण हैं पहला सरकारी अस्पतालों की संख्या कम होना, जो हैं वह पहले से बोझ से दबे हैं, दूसरा कैंसर और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का इलाज सिर्फ मेडिकल कॉलेज और टशर्री केयर सेंटर में उपलब्ध है. सरकार चाहे तो ऐसे इलाज सिविल अस्पताल में भी शुरू हो सकते हैं. यदि किसी को कार्डियो कि इमरजेंसी हो तो पीजीआई में भर्ती कराने में ही पसीने छूट जाते हैं. जबकि प्राइवेट में आते ही तुरंत इलाज शुरू हो जाता है. दूसरा कारण प्राइवेट हॉस्पिटल के ऊपर कोई रूल रेगुलेशन का ना होना. सरकार या प्रशासन के पास ऐसा कोई नियम नहीं है जिससे कि प्राइवेट हॉस्पिटल चार्ज को कंट्रोल कर पाए. हलांकि बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कहा है कि बिहार मे यह नियम कोर्ट में लंबित है.
आइए अब एक नजर डालते हैं किस मर्ज का कहां पर कितने रुपए में इलाज होता है -
मर्ज | प्राइवेट | सरकारी |
रजिस्ट्रेशन | 500-1200 | 2-20 |
नॉर्मल डिलीवरी | 50000 | 10000 |
सिजेरियन | 50-80000 | 2651 |
ईसीजी | 150-200 | 2-25 |
एक्स रे | 200 | 30 |
सीटी स्कैन सिर | 1800 | 300 |
सीटी स्कैन सिर के नीचे | 3500 | 1125 |
एमआरआई | 5000 | 1150 |
ब्लड क्लब कल्च | 350 | 30 |
घुटना ट्रांसप्लांट | डेढ़ से तीन लाख | 75 हजार से एक लाख |
हिप ट्रांसप्लांट | ढाई लाख | 80 हजार से एक लाख |
आईसीयू | 5000-8000 | 250-1000 |
पीडियाट्रिक्स आईसीयू | 5000-8000 | 250-1000 |
एंजियोप्लास्टी | डेढ़ लाख | 60 हजार |