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बिहार के दर्जनभर विश्वविद्यालयों का सेशन लेट, बहुतों को नौकरी मिली लेकिन सर्टिफिकेट अटका - etv bihar bharat

बिहार शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान का केंद्र हुआ करता था. उच्च शिक्षा के लिए विदेशों से लोग बिहार की धरती पर शिक्षा ग्रहण करने आते थे. लेकिन अब उच्च शिक्षा के मामले में बिहार फिसड्डी है. यहां के छात्र पलायन को मजबूर हैं. सेशन देर (Bihar University Latency) चलने की वजह से छात्रों के लिए नौकरी पाना भी दूर की कौड़ी हो गई है.

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Published : Jul 28, 2022, 8:26 PM IST

पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों के सत्र लेट चल रहे (Session late in Bihar Universities) हैं. छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है. बिहार के स्टूडेंट्स का चयन नौकरियों या अन्य जगहों पर हो जा रहा है लेकिन सत्र के लेटलतीफी के चलते उन्हें अवसरों से हाथ धोना पड़ जा रहा है. आज की तारीख में राज्य के अंदर उच्च शिक्षा दम तोड़ रही है और छात्र पलायन को मजबूर हैं. राज्य के अंदर तकरीबन सभी विश्वविद्यालय के सेशन देरी से चल रहे (Sessions Delayed in Bihar Universities) हैं. विलंबित सत्र की वजह से लाखों छात्र छात्राओं को अवसर से वंचित होना पड़ रहा है. राज्य सरकार के नियंत्रण वाले 13 विश्वविद्यालय में से ज्यादातर लेटलतीफी के शिकार हैं.

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मगध विवि के सत्र का हाल बुरा: राज्य के सबसे बड़े विश्वविद्यालय मगध विश्वविद्यालय की स्थिति सबसे दयनीय है. पिछले 2 साल से मगध विश्वविद्यालय मैं रेगुलर कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार पीजी का सेमेस्टर दो साल की देरी से चल रहा है. वहीं ग्रेजुएशन का सेशन ढाई से 3 साल देरी से चल रहा है. छात्रों को परीक्षा, डिग्री और सर्टिफिकेट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.


पटना यूनिवर्सिटी में सत्र लेट: पूर्व का ऑक्सफोर्ड के नाम से चर्चित पटना यूनिवर्सिटी में भी सत्र लेट है. पटना विश्वविद्यालय के कोर्स एक महीने से लेकर 1 साल की देरी से चल रहे हैं. मधेपुरा स्थित बीएन मंडल विश्वविद्यालय भी दुर्दशा का शिकार है. बीएन मंडल विश्वविद्यालय में भी सेशन दो से 3 साल की देरी से चल रहे हैं. मगध विश्वविद्यालय से अलग कर एक और विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी, जिसका नाम 'पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय' रखा गया था. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में भी सत्र 2 साल की देरी से चल रहे हैं.

2 से तीन साल देर से चल रहा सेशन: भागलपुर स्थित तिलकामांझी विश्वविद्यालय के छात्र भी परेशान हैं. तिलकामांझी विश्वविद्यालय के सत्र दो से ढाई साल विलंब से चल रहे हैं. दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सत्र डेढ़ से 2 साल की देरी से चल रहे हैं. ऐसे में छात्रों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के सत्र भी रेगुलर नहीं हैं. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के सत्र 2 साल की देरी से चल रहे हैं. 2021-24 सेशन के किसी भी सत्र की परीक्षा नहीं हो पाई है. उच्च शिक्षा को लेकर जब भी राज्य सरकार से सवाल किया जाता है तो गेंद राज भवन के पाले में डाल दिया जाता है. आरोप-प्रत्यारोप में लाखों छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है.


अधर में अटकी होनहार छात्रा अनुष्का: अनुष्का बिहार की होनहार छात्रा है. अनुष्का ने नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री ली और इसरो में डिप्लोमा कोर्स के लिए चयन हुआ. लेकिन मगध विश्वविद्यालय से अब तक अनुष्का को स्नातक का मूल प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा सका है. नालंदा विश्वविद्यालय ने भी अनुष्का को अब तक मूल प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है. इसरो के द्वारा भी नामांकन का आश्वासन तो मिला है लेकिन बगैर मूल प्रमाण पत्र के सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा. अनुष्का को इसरो जाने की उम्मीद धूमिल दिखाई दे रही है.

''छात्रों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद बिहार में मुश्किल है. हमें नामांकन तो मुश्किल से मिल जाता है, लेकिन डिग्री लेने के बाद भी सर्टिफिकेट नहीं मिल सका है. मगध विश्वविद्यालय के रवैए के चलते मुझे इस बात की उम्मीद नहीं है कि वहां भी मुझे सर्टिफिकेट मिल पाएगा''.- अनुष्का, होनहार छात्रा


'बीपीएससी पास लेकिन सर्टिफिकेट नहीं मिला': इसके अलावा निकिता ने बीपीएससी की परीक्षा पास कर ली. लेकिन मगध विश्वविद्यालय से सर्टिफिकेट नहीं मिलने के चलते नौकरी नहीं मिल पाई और वह फिलहाल कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है. शिक्षाविद डॉक्टर रहमान का कहना है कि बिहार के ज्यादातर विश्वविद्यालय में सेशन लेट हैं. छात्र असहाय दिख रहे हैं. राजभवन और सरकार को चाहिए कि इस पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय को सख्त निर्देश दें ताकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो.


विपक्ष भी उठा चुका है सवाल: विपक्ष ने भी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा है कि पूरे मामले को राजभवन को गंभीरता से लेना चाहिए अगर छात्रों का सत्र लेट रहेगा तो उनके भविष्य का निर्माण कैसे होगा. बिहार सरकार को भी गंभीरता दिखाने की जरूरत है.

'सरकार लगातार प्रयास कर रही है. हमने महामहिम के साथ पिछले साल अगस्त में सभी कुलपतियों की बैठक की थी उसमें भी नियमित सत्र करने का निर्देश दिया था. विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में कक्षाएं और परीक्षाएं नियमित हो तभी सही ढंग से हमारे छात्रों को शिक्षा मिल सकती है. परीक्षाएं विलंब होने से छात्र बुरी तरह प्रभावित हैं. और यह स्थिति सरकार को स्वीकार नहीं है. पिछले दिनों हमने कुलपतियों के साथ भी बैठक की है और उनसे लिखित आश्वासन लिया है. कुलपतियों ने 6 महीने से साल भर के अंदर सेशन को नियमित करने का आश्वासन दिया है. सरकार लगातार मॉनिटरिंग करेगी और समीक्षा भी करेगी.'- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री

'छात्रों की मांग जायज' :गौरतलब है किबिहार के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र लगातार विलंब से चल रहे हैं. कई साल से देरी से चल रहे सत्र के कारण परीक्षा होने और डिग्री मिलने में भी लंबा समय लग जा रहा है. इसके कारण काफी समय से मगध विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालय के छात्र आंदोलन कर रहे हैं. छात्रों के आंदोलन पर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बच्चों की मांग बिल्कुल सही है, सेशन नियमित होना चाहिए. परीक्षाएं समय पर होनी चाहिए.

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