पटना: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने तबलीगी जमात पर सवाल उठाते हुए देश में समान नागरिक संहिता की मांग की है. उन्होंने डॉ. भीम राव अम्बेडकर का हवाला देते हुये कहा कि बाबा साहब ने कहा था कि समान नागरिक संहिता लागू करना हमारा लक्ष्य होगा. आज देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए इस अनुच्छेद की सबसे ज्यादा जरूरत है.
संजय जायसवाल ने कहा कि देश के 101 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी है कि तबलीगी जमात की हरकत के कारण किसी समाज को दोष नहीं दिया जाय. मैं भी पूरी तरह इस मामले में उनके साथ हूं. तबलीगी जमात के विदेशी, पर्यटन के नाम पर देश के साथ धोखाधड़ी करते आए हैं. तबलीगी जमात के लोग मस्जिदों में बैठकर भारतीयों का मुफ्त खाना खाते हैं.
जमाती खेलेंगे विक्टिम कार्ड
जायसवाल ने आगे कहा कि, शुरुआत में जमातियों द्वारा फैलाए गए कोरोना मरीजों की संख्या 70% थी जो अब घटकर 30% हो गई है. लेकिन भारत में जब 10 लाख लोग संक्रमित होंगे तो इनकी संख्या केवल 2% हो जाएगी. फिर यह अपना विक्टिम कार्ड खेलेंगे कि हमारे द्वारा 2% ही रोग फैला है तो हमें क्यों दोष दिया जा रहा है.
पूरे समाज को दोष देना गलत
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने इस बाबत बकायदा फेसबुक पोस्ट भी किया है. उन्होंने कहा कि देश के 133 करोड़ लोग सभी नियमों का पालन कर रहे हैं. मुश्किल से 2 लाख लोग नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. इसका मतलब भारत में 99.98% लोग नियमों का पालन कर रहे हैं. इसलिए, तबलीगी जमात के घटियापन के लिए पूरे समाज को दोष देना सरासर गलत है.
समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत
संजय जायसवाल ने कहा कि हमारे संविधान में बाबा साहेब भीमराव रामजी आम्बेडकर ने संविधान के भाग 4, अनुच्छेद 44 में कहा था कि समान नागरिक संहिता लागू करना हमारा लक्ष्य होगा. आज देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए बाबासाहेब आम्बेडकर जी के इस अनुच्छेद की सबसे ज्यादा जरूरत है.
धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता की लकीर हुई पतली
बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि ये 101 पूर्व नौकरशाह आज तो शिकायत कर रहे हैं पर कल इनके समर्थन में भी उतर जाएंगे. अगर इन्होंने संतों की हत्या के खिलाफ भी इस पत्र में लिखा होता तो सही मायने में हम मानते कि ये धर्मनिरपेक्ष हैं. झारखंड में अगर विश्व हिंदू परिषद द्वारा फल की दुकान पर पोस्टर लगाकर फल बेचा जाता है तो यह जेल जाने के लिए होता है. लेकिन अगर जमात उल हिंद ट्रस्ट द्वारा अनुमोदित हलाल का प्रमाण पत्र लेने के लिए अंग्रेजी और उर्दू में प्रचारित किया जाता हो तो यह भारत के धर्मनिरपेक्षता की सही तस्वीर है.