पटनाःबिहार विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. सभी पार्टियां जनता तक पहुंच बनाने और ज्यादा से ज्यादा वोट बैंक साधने में जुट गई हैं. बिहार के चुनाव में महिला वोटर अहम भूमिका निभाती हैं. राज्य में आधी आबादी के वोट से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार प्रचंड बहुमत से जीतते रहे हैं. साइकिल योजना, पोशाक की योजना, पंचायतों में आरक्षण फिर नौकरियों में आरक्षण से लेकर शराबबंदी तक के फैसलों से सीएम ने आधी आबादी के बीच एक विशेष पहचान बनाई है.
बिहार में विधानसभा का चुनाव
शराबबंदी के बाद पहली बार बिहार में विधानसभा का चुनाव हो रहा है. ऐसे में महिलाओं के वोट पर फिर से नीतीश कुमार की नजर है. आगामी चुनाव में शराबबंदी जैसे मुद्दे को नीतीश कुमार भुनाने की कोशिश करेंगे.
आधी आबादी के वोट से जीत हार
बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से सभी दलों की नजर आधी आबादी की वोट बैंक की ओर है.
- 1952 से लेकर 2015 तक हुए चुनाव में 291 महिला विधायकों ने जीत हासिल की
- यह संख्या कुल जीते प्रत्याशियों 4, 765 की तुलना में 6 प्रतिशत के आसपास है
- 2015 के विधानसभा चुनाव में 28 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था
- अब तक हुए चुनाव में सबसे अधिक 2010 में 37 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था
- 2010 में नीतीश कुमार ने आधी आबादी का कार्ड खेला था और उसमें सफलता भी मिली.
- अब एक बार फिर से 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार महिला वोटरों पर नजर बनाए हैं
"शराबबंदी का मुद्दा महत्वपूर्ण है और इससे घरेलू हिंसा में काफी कमी आई है. महिलाओं का वोट निश्चित रूप से नीतीश कुमार को मिल सकता है, लेकिन गांव में अब भी शराब ब्लैक में मिल रहे हैं यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. "
- डीएम दिवाकर, विशेषज्ञ