पटनाः बिहार में सड़क निर्माण में संकट (Road construction in bihar) का बादल छा सकता है, क्योंकि बिहार सरकार की ओर से जो प्रपोजल भेजा गया था, उसके अनुसार आधी राशि भी केंद्र सरकार ने स्वीकृत नहीं की. इसके बाद से बिहार सरकार के मंत्री केंद्र सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगा रहे हैं. इधर, भाजपा का मानना है कि बिहार सरकार की गलती के कारण ऐसा हुआ है.
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20 हजार करोड़ के बदले 950 करोड़ः बिहार में सड़क और पुल निर्माण से संबंधित योजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपए का प्रपोजल भेजा गया था. 4 महीने बाद केंद्र सरकार से 20 हजार करोड़ के बदले मात्र 950 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली. ऐसे में बिहार की कई परियोजनाओं पर ग्रहण लग सकता है. बिहार सरकार अब केंद्र सरकार पर बिहार के साथ पक्षपात करने का आरोप लगा रही है.
'बिहार के साथ सौतेला व्यवहार' बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि बिहार के साथ हर स्तर पर सौतेला व्यवहार हो रहा है. बिहार की सरकार अपने संसाधन पर काम कर रही और करती रहेगी. इसके लिए लोन भी लेना होगा तो इसके लिए बिहार सरकार तैयार है. बिहार में सड़कों का जाल बिछ रहा है, लेकिन केंद्र ने बिहार के साथ पक्षपात करने का काम किया है. आने वाले समय में जनता केंद्र सरकार को सबक सिखाएगी.
कई जिलों में होना है निर्माणः आपको बता दें कि बिहार के कई जिलों में आरओबी का निर्माण होना है. राजगीर एलिवेटेड कॉरिडोर और अनीशा बाद एम्स एलिवेटेड कॉरिडोर, विक्रमशिला सेतु का एप्रोच रोड के अलावा कई जिलों में बाईपास का निर्माण होना है. आधा दर्जन जिलों में सड़कों की मरम्मत होनी है. ऐसे बिहार सरकार की ओर से एक बार फिर केंद्र सरकार से वार्षिक योजना की राशि बढ़ाने का आग्रह कर सकती है.
'बिहार को नहीं मिल रहा हक' : वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी केंद्र सरकार पर निशाना साधा. कहा कि हमने कई बार केंद्र सरकार के आग्रह किया है कि बिहार के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? बिहार जैसे राज्य जिस प्रकार से अपने संसाधनों से विकास कर रहा है, ऐसे में बिहार को और मदद की जरूरत है. केंद्रीय वित्त मंत्री से भी हमलोगों ने आग्रह किया है. बिहार के साथ लगातार पक्षपात हो रहा है. बिहार को उसका हक नहीं मिल रहा.
केंद्र ने बिहार की गलती बतायाः बिहार में जब एनडीए की सरकार थी तो पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात करते थे. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद बिहार सरकार की तरफ से कोई मंत्री ने इस ओर प्रयास नहीं किया, जिस कारण कहीं ना कहीं इसका असर भी माना जा रहा है. इधर, भाजपा ने बिहार सरकार को ही उल्टे दोषी बताया है.
'जमीन अधिग्रहण नहीं कर रही सरकार': बीजेपी प्रवक्ता संतोष पाठक का कहना है कि केंद्र सरकार बिहार के साथ कोई पक्षपात नहीं कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को 125000 करोड़ का पैकेज दिया था, उसमें सबसे ज्यादा 54000 करोड़ रोड सेक्टर पर काम हो रहा है, लेकिन समस्या बिहार में सरकार है. बिहार सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण नहीं किया जाता है, जिस कारण योजनाएं लटकी हुई है.
'जमीन अधिग्रहण के कारण अटका काम': संतोष ने बताया कि राम जानकी मार्ग उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक आ गया है, लेकिन बिहार सरकार जमीन अधिग्रहण नहीं कर रही है. रोड सेक्टर ही नहीं पूर्णिया एयरपोर्ट का काम भी जमीन अधिग्रहण के कारण लटका हुआ है. सरकारों को निवेश करने के लिए भी काम करना होता है, लेकिन बिहार में एक तरफ लालू प्रसाद यादव बालू हड़प गए ले गए तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार शराब हड़प गए. जनता कुछ मांग करती है तो सिर फोड़ दिया जाता है.
सरकार बदलने के बाद लटकी योजनाः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी लगातार बयान देते रहे हैं कि राज्यों की ओर से जो भी योजनाएं आएगी उसको को जमीन पर उतारा जाएगा, लेकिन बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से केंद्र की कई बड़ी परियोजनाएं लटकी हुई है. जेपी सेतु के समानांतर पुल का निर्माण का टेंडर जारी हो गया है, लेकिन अभी तक निर्माण एजेंसी का चयन नहीं हुआ है. क्योंकि केंद्रीय कैबिनेट से अब तक इस पर मुहर नहीं लगी है.
कई योजना में टेंडर तक नहीं हुआः यही नहीं एनएच की कई परियोजनाओं पर भी असर पड़ रहा है. 85 किलोमीटर लंबी आरा-सासाराम सड़क और मानिकपुर साहिबगंज का टेंडर फाइनल नहीं हो पा रहा है. सभी 1000 करोड़ से अधिक की परियोजना है. फिलहाल बिहार सरकार की ओर से बड़ी परियोजनाओं को कैसे पूरा किया जाए उस पर मंथन हो रहा है, लेकिन केंद्र सरकार की उपेक्षा का आरोप बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से लगातार जदयू मंत्रियों के तरफ से भी लगाया जा रहा है.