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साथ आए बगैर बिहार में विपक्ष की राह मुश्किल, उपचुनाव में हार के बाद क्या होगी रणनीति!

बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. विपक्ष की करारी हार के बाद अब ये लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं. तेजप्रताप ने भी कांग्रेस से गठबंधन टूटने को हार का कारण बताया है. अब से सवाल उठने लगा है कि बिना एकजुट हुए विपक्ष की राजनीति की राह मुश्किल है. पढ़ें खास रिपोर्ट.

उपचुनाव में हार के बाद राजद-कांग्रेस बढ़ी मुश्किल
उपचुनाव में हार के बाद राजद-कांग्रेस बढ़ी मुश्किल

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Published : Nov 3, 2021, 7:29 PM IST

पटना: बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जेडीयू (JDU) की जीत का असर दिखना शुरू हो गया है. पिछले कुछ सालों के उपचुनाव के ट्रेंड से अलग इस बार नतीजे सौ फीसदी सत्ताधारी दल पक्ष में रहे हैं. जनता दल युनाइटेड (JDU) की दोनों सीटों को हथियाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD ने तमाम कोशिशें कीं. सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया, लालू यादव को उतारा और अपने सहयोगी कांग्रेस से पंगा भी ले लिया. नतीजा फिर भी सिफर ही रहा. इस परिस्थिति में बगैर एकजुट हुए बिहार में विपक्ष की राजनीति की राह मुश्किल दिख रही है.

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दरअसल, बिहार उपचुनाव की 2 सीटों के परिणाम ने पिछले उपचुनाव में कुछ सालों से चल रहे विपक्ष के जीत के क्रम को तोड़ दिया है. पिछले कुछ सालों से जब-जब बिहार में उपचुनाव हुए, विपक्ष ने सत्ता पक्ष के मुकाबले ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार जदयू ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज करके इस मिथक को तोड़ दिया है. वहीं विपक्ष के तमाम दावों की भी हवा निकल गई. अब विपक्ष की करारी हार पर सत्तापक्ष ने लालू यादव और तेजस्वी यादव पर निशाना साधना शुरू कर दिया है. वहीं, लालू के बड़े बेटे प्रताप ने भी गंभीर सवाल उठाये हैं.

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बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि लालू यादव को उतारकर राजद ने यह दावा किया था कि दोनों जगहों पर वे बड़ी जीत दर्ज करेंगे. उन्होंने अपने सहयोगी को भी अलग-थलग छोड़ दिया. यहां तक कि तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई का कहना भी नहीं माना. नतीजा सबके सामने है.

'लालू का नाम सुनते ही बिहार की जनता किस तरह भयभीत हो जाती है, एक बार फिर साबित हो गया है. पिछले चुनाव में एकजुट होकर विपक्ष ने चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार जिस तरह से कांग्रेस और राजद की राहें अलग हुईं, उससे राजद को तो धराशाई होना ही था.':- प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

इधर, विपक्ष इस बात को लेकर खुश है कि जनता ने पिछली बार से ज्यादा वोट उन्हें दिया. राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि पिछली बार से ज्यादा भरोसा जनता ने हम पर जताया है. हालांकि अपने सहयोगी को लेकर उन्होंने कहा कि जनता के जनादेश से स्पष्ट हो गया कि हमारा फैसला सही था. उन्होंने कहा कि अब भविष्य में क्या होगा यह कहना मुश्किल है. लेकिन कांग्रेस को यह समझना चाहिए राज्य में विपक्ष की मुख्य भूमिका में कौन है.

हालांकि, प्रदेश कांग्रेस इस मुद्दे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं दिख रखी है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि अपने प्रदर्शन को लेकर हम लोग विचार कर रहे हैं. उपचुनाव में जो प्रदर्शन रहा है, उस पर हमें गंभीरता से विचार करने की जरुरत है. हालांकि गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा कि अब बिहार में हमारा कोई गठबंधन नहीं है

अगर हम बिहार में किसी दल से गठबंधन करते हैं तो हम सीट शेयरिंग की बात करेंगे ना कि किसी और राज्य में. इसलिए अगर राजद यह सोचता है कि हम गठबंधन बिहार में करें और सीट शेयरिंग के वक्त अपनी मनमर्जी करें तो यह नहीं चलने वाला है. 2024 के चुनाव में काफी समय है. गठबंधन किससे होगा, कब होगा यह पूरा फैसला आलाकमान के हाथ में है. लेकिन फिलहाल यह तय है कि बिहार में कांग्रेस और राजद की राहें अलग हैं. :- प्रेमचंद्र मिश्रा, कांग्रेस एमएलसी

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इस बारे में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय से बात की. उन्होंने बताया कि लालू यादव का बयान और कांग्रेस से अलग होना निसंदेह राजद के लिए भारी पड़ा है. उन्होंने कहा कि तेज प्रताप यादव की नाराजगी मोल लेना और उन्हें चुनाव प्रचार में नहीं ले जाना भी गलत मैसेज गया. रवि उपाध्याय ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि जब महागठबंधन में सभी दल एक साथ थे तो उसकी मजबूती एनडीए के लिए मुश्किलें पैदा कर रही थीं.

'अब भविष्य में भी अगर कांग्रेस और राजद अन्य दलों के साथ चलते हैं तो ही भविष्य में विपक्ष की मजबूत भूमिका नजर आएगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय दल है. उसके बिना राजद एक मजबूत विपक्ष की कल्पना नहीं कर सकता है.':- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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