पटना:राष्ट्रीय जनता दलआज यानी 5 जुलाई को अपना 27वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस दौरान पार्टी सुप्रीमो लालू यादव ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी देश को तोड़ने की कोशिश कर रही है. विपक्षी दलों के विधायकों की खरीद-बिक्री हो रही है. ऐसे में मेरी आप लोगों से गुजारिश है कि पैसे और पावर के सामने झुकना नहीं है. हमलोगों को मिलकर इन सांप्रदायिक शक्तियों का सामना करना है.
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शहाबुद्दीन समेत अन्य साथियों को किया याद:लालू ने अपने भाषण के दौरान बताया कि किस परिस्थिति में उन्होंने आरजेडी का गठन किया था. उन्होंने कहा कि जनता दल से उनको हटाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन पूरे बिहार की यूनिट उनके साथ थी. रामकृष्ण हेगड़े ने नए दल का नाम सुझाया था. लालू ने तस्लीमुद्दीन, भगवतीया देवी, शहाबुद्दीन और रमई राम जैसे पुराने साथियों को भी याद किया.
"मुझे जनता दल से हटाने की कोशिश हो रही थी, उस परिस्थिति में मैंने आरजेडी बनाने का मन बनाया. पूरे बिहार की यूनिट मेरे साथ थी. मैने रामकृष्ण हेगड़े जी से सुझाव मांगा था, तब उन्होंने नाम सुझाया था. आज आरजेडी आपके सामने है. आरजेडी ने विकास से लेकर हर क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया है. देश के एकता अखंडता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में राजद योगदान देता रहा है"- लालू यादव, अध्यक्ष, आरजेडी
कब हुई थी आरजेडी की स्थापना?: 5 जुलाई 1997 को दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में लालू यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर आरजेडी की स्थापना की थी. लालू ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया था. स्थापना से लेकर 2005 तक पार्टी लगातार सत्ता में रही लेकिन उसके बाद से 2015 तक विपक्ष में रही. इस बीच 2010 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि 2015 में पार्टी सत्ता में जरूर वापस आई लेकिन जुलाई 2017 में फिर सत्ता से बेदखल हो गई. पिछले एक साल से आरजेडी सत्ता में है. आरजेडी का मुख्य जनाधार बिहार और झारखंड में है. फिलहाल दोनों जगह पार्टी सत्ता में बनी हुई है.
आरजेडी की सियासी ताकत?: आरजेडी इस वक्त बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी है. उनके 79 विधायक हैं. हालांकि लोकसभा में उसके पास एक भी सांसद नहीं है. वहीं राज्यसभा में 6 सांसद हैं, जबकि बिहार विधान परिषद में 14 सदस्य हैं. उधर झारखंड विधानसभा में आरजेडी का एक विधायक है.