पटनाः आम लोग शिक्षा, घर ,गाड़ी और व्यवसाय के लिए बैंकों से आसान किस्त पर ऋण लेते हैं कई बार लोग बैंकों का किस्त समय पर चुका पाने में सक्षम नहीं होते हैं ऐसी स्थिति में बैंक रिकवरी एजेंट का सहारा लेते हैं लेकिन रिकवरी एजेंट कानून से ऊपर जाकर काम करते हैं और उसके नतीजे भयवाह होते हैं. जब कोई बैंक से लोन लेता है तो बैंक और ग्राहक के बीच आर्बिट्रेशन ऐक्ट के तहत करार होता है कि उसकी धारा-9 के तहत किसी विवाद की स्थिति में मामला आर्बिट्रेटर के सामने जाएगा. ऐसी स्थिति में अगर किस्त का पेमेंट नहीं होता है तो बैंक या लोन देनदार संस्थान को अधिकार है कि वह आर्बिट्रेशन में मामला ले जाए. कॉम्पिटेंट अथॉरिटी के आदेश के तहत कानूनी कार्रवाई करे. आदेश के मुताबिक वह पुलिस की मदद से कार आदि उठा सकते हैं. साथ ही भुगतान न होने की स्थिति में बैंक व वित्तीय संस्थान रिकवरी के लिए सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
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आपको भी कोई डरा रहा है तो जानें अपने अधिकार.
परेशान नहीं कर सकता एजेंटः वसूली एजेंट का काम कर्जदार को बैंक के लोन की रकम का भुगतान करने के लिए तैयार करना होता है. वह आपको शारीरिक, मानसिक या किसी और तरह से परेशान नहीं कर सकता. एजेंट अगर अभ्रदता से बात करता है तो आप पुलिस में शिकायत कर सकते हैं.अगर बैंक आपके केस को वसूली एजेंट को सौंपना चाहता है तो उसे पहले यह जानकारी आपको देनी होगी.अगर आपने पहले से कोई शिकायत कर रखी है और बैंक ने उस पर कार्रवाई नहीं की है तो एजेंट को केस नहीं सौंपा जा सकता.
फोन करने का समय है तयः वसूली एजेंट का पता और फोन नंबर ग्राहक को दिया जाना जरूरी है. एजेंट को भी उन्हीं नंबरों से ग्राहक को कॉल करना चाहिए, जो बैंक ने उपलब्ध कराए हैं. एजेंट को ग्राहक से सुबह 7 से शाम 7 बजे के बीच ही संपर्क करना चाहिए. ग्राहक को यह अधिकार है कि वह एजेंट को एक तय वक्त पर फोन करने और मीटिंग के लिए समय तय करने को कह सकता है.
जानें अपने अधिकारः
- वसूली एजेंट का काम कर्जदार को बैंक के लोन की रकम का भुगतान करने के लिए तैयार करना होता है. वह आपको शारीरिक, मानसिक या किसी और तरह से परेशान नहीं कर सकता.
- एजेंट अगर अभ्रदता से बात करता है तो आप पुलिस में शिकायत कर सकते हैं.अगर बैंक आपके केस को वसूली एजेंट को सौंपना चाहता है तो उसे पहले यह जानकारी आपको देनी होगी.
- अगर आपने पहले से कोई शिकायत कर रखी है और बैंक ने उस पर कार्रवाई नहीं की है तो एजेंट को केस नहीं सौंपा जा सकता.
- वसूली एजेंट का पता और फोन नंबर ग्राहक को दिया जाना जरूरी है. एजेंट को भी उन्हीं नंबरों से ग्राहक को कॉल करना चाहिए, जो बैंक ने उपलब्ध कराए हैं.
- एजेंट को ग्राहक से सुबह 7 से शाम 7 बजे के बीच ही संपर्क करना चाहिए.
- ग्राहक को यह अधिकार है कि वह एजेंट को एक तय वक्त पर फोन करने और मीटिंग के लिए समय तय करने को कह सकता है.
कमाई के लिए जोर जबरदस्तीः चार्टर्ड अकाउंटेंट बीएन राय ने बताया कि आरबीआई की गाइडलाइन के मुताबिक बैंक रिकवरी एजेंट का सहारा लेते हैं, लेकिन रिकवरी एजेंट अपनी कमाई में इजाफा करने के लिए जोर जबरदस्ती करते हैं. कई बार रिकवरी एजेंट धमकी का भी सहारा लेते हैं. रिकवरी एजेंट को ऐसा करने से बाज आना चाहिए. रिकवरी एजेंट को प्यार से या फिर समझा-बुझाकर किस्त अदा करने के लिए ऋण दाता से बात करनी चाहिए. कानून को हाथ में लेना अपराध है.
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दायरे में रहकर ऋण वसूलीः वित्तीय मामलों के जानकार और अधिवक्ता रजनीश कुमार का कहना है कि रिकवरी एजेंट को दायरे में रहकर ऋण वसूली का काम करना है. पहला तो ऑफिस आवर नहीं वह ऋण दाता के घर जा सकते हैं या फोन कर सकते हैं. दूसरा वह धमकी नहीं दे सकते हैं या फिर जोर जबरदस्ती भी नहीं किया जा सकता है. अगर रिकवरी एजेंट ऐसा करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है. रिकवरी एजेंट किसी का डरा धमका नहीं सकता है.