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JDU में RCP सिंह को साइड लाइन किये जाने की तैयारी! पार्टी में खेमेबाजी शुरू - CM Nitish Kumar

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही जदयू (JDU) में सियासत शुरू हो गई है. हालांकि पार्टी ने इस प्रकार की अटकलों को बेबुनियाद बताया है. इसी बीच जदयू सांसद ललन सिंह (JDU MP Lalan Singh) की जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) से मुलाकात के बाद पार्टी में आरसीपी सिंह (RCP Singh) के स्टैंड को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.

जेडीयू में RCP सिंह को साइड लाइन किये जाने की तैयारी
जेडीयू में RCP सिंह को साइड लाइन किये जाने की तैयारी

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Published : Jul 10, 2021, 10:05 AM IST

पटना: मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet Expansion) के विस्तार के बाद से जदयू (JDU) में क्या सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? हालांकि जदयू के नेताओं का कहना है कि पार्टी एकजुट है, कहीं कोई समस्या नहीं है. दूसरी ओर, जदयू के अंदर हलचल मची है, क्योंकि मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री के शामिल किये जाने से जेडीयू में नाराजगी है.

उपेंद्र कुशवाहा ने (Upendra Kushwaha) बयान दिया था कि मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसलानीतीश कुमार का नहीं है, ये आरसीपी सिंह का है. इसके बाद पार्टी में एक नई खेमेबाजी की शुरुआत मानी जा रही है. ललन सिंह (MP Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा की मुलाकात से सियासी चर्चा भी शुरू हो गई है कि नीतीश के इशारे पर आरसीपी सिंह को एक संकेत दिया जा रहा है.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने नहीं बल्कि आरसीपी सिंह ने लिया है. यानि नीतीश कुमार की सहमति इस फैसले में नहीं थी. उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान के बाद साफ है कि आरसीपी सिंह एनडीए में अब नीतीश कुमार से अलग लाइन ले रहे हैं. 2019 में जब नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का गठन होना था तो उस समय भी जदयू को एक सीट का ऑफर था लेकिन नीतीश कुमार ने उस समय ठुकरा दिया. जेडीयू ने कहा था कि बीजेपी के अनुसार ही हमें सीटें मिलनी चाहिए. इस बार आरसीपी सिंह एक सीट स्वीकार कर लेते हैं और खुद मंत्री बन जाते हैं.

जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद ललन सिंह के नाम की चर्चा पिछली बार भी थी और इस बार भी हो रही थी. अब चर्चा है कि आरसीपी सिंह के फैसले से ललन सिंह नाराज हो गये हैं. नीतीश कुमार भी आरसीपी सिंह के फैसले से खुश नहीं है. ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि पार्टी के लिए यह शुभ संकेत नहीं है. विपक्ष को फिलहाल एक बड़ा मुद्दा मिल गया है.

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वहीं, आरजेडी और कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पार्टी के अंदर काफी नाराजगी है. जल्द ही पार्टी में बड़ा विस्फोट होने वाला है. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा लगातार कह रहे हैं कि सबकी सहमति से फैसला हुआ है. पार्टी एकजुट है.

ललन सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के फैसले से पार्टी में सवर्ण का एक खेमा अपने को उपेक्षित महसूस कर रहा है. लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले पर फिलहाल पार्टी में कोई अंगुली उठा नहीं रहा है. लेकिन नाराजगी इसलिए भी साफ दिखती है कि ना तो नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को बधाई दी और ना ललन सिंह ने. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ललन सिंह बहुत करीबी माने जाते हैं. पार्टी में कई बार मुसीबतों में क्राइसिस मैनेजमेंट करते रहे हैं. अभी हाल ही में लोजपा के टूट प्रकरण में ललन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि यदि मामले को जल्द सलटाया नहीं गया तो पार्टी में खेमे बाजी साफ दिखेगी. ललन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा से मिलकर एक संकेत भी दे दिया है.

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