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'बिहार के नियोजित शिक्षकों के साथ अन्याय', तीन चांस की बाध्यता को लेकर छिड़ा विवाद - बिहार में शिक्षक भर्ती

Bihar Niyojit Shikshak: बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर हमेशा किसी न किसी बात को लेकर विरोध होते रहा है. इस बार बीपीएससी शिक्षक बहाली और नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा में तीन चांस की बाध्यता का विरोध हो रहा है. जानें क्या है पूरा मामला?

बिहार में शिक्षक भर्ती पर चांस की बाध्यता
बिहार में शिक्षक भर्ती पर चांस की बाध्यता

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 1, 2024, 2:32 PM IST

छात्र नेता दिलीप कुमार

पटनाः बिहार में शिक्षक बहाली की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. BPSC शिक्षक बहाली के दूसरे चरण की प्रक्रिया जारी है. इसी बीच परीक्षा में तीन चांस की बाध्यता को लेकर विरोध होने लगा है. शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षक संघ भी इसका विरोध कर रहे हैं. तीन चांस की बाध्यता को खत्म करने की मांग की जा रही है.

सिविल सेवा की तरह मिले मौकाः छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि सांतवे चरण की नियमावली में सरकार ने शिक्षक को तीन चांस देने की बात कही जो एकदम गलत है. बीपीएसी सिविल सेवा में चांस की कोई सीमा नहीं है. जब तक उम्र रहेगी, तब तक अभ्यर्थी परीक्षा दे सकते हैं तो फिर शिक्षक बहाली में ऐसा क्यों किया जा रहा है? इससे लाखों शिक्षक परेशान है.

"बीएड और डीएलएड करने में लाखों रुपए खर्च होते हैं तो फिर शिक्षक अभ्यर्थियों को तीन चांस ही क्यों दी जा रही है. सरकार से मांग है कि शिक्षक भर्ती में तीन चांस की बाध्यता को खत्म किया जाए ताकि अभ्यर्थी अधिकतम उम्र सीमा तक परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो यह अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा."- दिलीप कुमार, छात्र नेता

नियोजित शिक्षकों भी देना होगी परीक्षाः दूसरी ओर नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने को लेकर भी विरोध किया जा रहा है. दरअसल, 26 दिसंबर को नीतीश कुमार की कैबिनेट मीटिंग में नियोजित शिक्षक को विशिष्ट शिक्षक बनाने पर मुहर लगी है. इसको लेकर नियमावली जारी किया गया है, जिसमें वेतन सहित कई सुविधाओं का जिक्र है. राज्यकर्मी का दर्जा के लिए शर्त है कि शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देनी होगी. इन्हें भी तीन बार मौका दिया जाएगा.

'नियोजित शिक्षकों को लाभ नहीं': विशिष्ट शिक्षक नियमावली को लेकर भी शिक्षक आपत्ति जता रहे हैं. नियोजित शिक्षक को राज्यकर्मी का दर्जा के लिए सक्षमता परीक्षा देनी होगी. अगर परीक्षा नहीं देते हैं तो स्थानीय निकाय शिक्षक ही बने रहेंगे. नियमावली में सूचित शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का जिक्र है. इसका भी विरोध किया जा रहा है. एक शिक्षक ने वीडियो जारी कर कहा कि यह नियमावली से नियोजित शिक्षकों को कोई लाभ नहीं होने वाला है. नियोजित शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा है.

कैसे बनेंगे राज्यकर्मी? नियोजित शिक्षक से राज्यकर्मी का दर्जा मिलने की बात करें तो इसके लिए शिक्षक को सक्षमता परीक्षा देनी पड़ेगी. अगर शिक्षक सक्षमता परीक्षा में पास नहीं करते हैं तो उन्हें फिर से मौका दिया जाएगा. एक नियोतिज शिक्षक तीन बार परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. बिहार बोर्ड की ओर से यह परीक्षा आयोजित की जाएगी, हालांकि इसको लेकर कोई सिलेबस जारी नहीं किया गया है, लेकिन विभाग की ओर से बताया गया है कि सामान्य परीक्षा होगी.

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कितनी मिलेगी सैलरी? नियोजित शिक्षक अगर राज्यकर्मी बनते हैं तो उन्हें वेतन के साथ-साथ कई सारी सुविधा दी जाएगी. इसमें महंगाई भत्ता, मकान, किराया, चिकित्सा, परिवहन भत्ता शामिल है. 8 साल के सेवा के बाद प्रमोशन भी मिलेगा. वेतन की बात करें तो प्राइमरी शिक्षक को 25 हजार, मिडिल को 28000, माध्यमिक को 31 हजार और उच्च माध्यमिक को 32 हजार रुपए वेतन दिए जाएंगे.

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कौन हैं नियोजित शिक्षक? दरअसल साल 2003 में सरकार ने ग्रामीण स्तर पर युवाओं को रोजगार देने के लिए यह बहाली की थी. स्कूल में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 10वीं और 12वीं पास युवाओं को 11 महीने के कांट्रैक्ट पर शिक्षक बनाया गया था, जिसे 1500 रुपए मासिक वेतन दिए जाते थे. इसके बाद अनुबंध के साथ साथ वेतन भी बढ़ता गया. बिहार में करीब साढे चार लाख नियोजित शिक्षक हैं.

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