पटना:उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्थान के कोटा में फंसे 8 हजार छात्रों को वापस लाने के लिए 300 बसें कोटा भेजी थी. यूपी सरकार के फैसले पर सीएम नीतीश कुमार ने तंज कसते हुए कहा था, कि ये लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ है. इसके बाद नवादा के हिसुआ विधायक अनिल सिंह अपनी बेटी को कोटा से वापस ले आए. इस मामले पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी अपनी प्रतिकिया दी है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि कोटा में फंसे बिहार के सैकड़ों बच्चों ने नीतीश कुमार से मदद की अपील की थी. इसके बाद सीएम ने छात्रों की अपील को ये कहकर खारिज कर दिया था कि ऐसा करना लॉकडाउन की मर्यादा के खिलाफ होगा. पीके ने कहा कि अब उन्हीं की सरकार ने बीजेपी के एक एमएलए को कोटा से अपने बेटी को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है. नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है?
पीके ने अपने ट्वीट में लिखा कि 'अब उन्हीं की सरकार ने BJP के एक MLA को कोटा से अपने बेटी को लाने के लिए विशेष अनुमति दी है. नीतीश जी अब आपकी मर्यादा क्या कहती है?'.
क्या है मामला?
दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन में फंसे यूपी के 8 हजार छात्रों को कोटा से वापस लाने के लिए सरकार ने 300 बसों के माध्यम से वापस लाने का निर्णय लिया था. जिसपर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि यूपी सरकार का ये निर्णय लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ है. केंद्र सरकार मामले में हस्तक्षेप करे. साथ ही नीतीश ने कहा कि बिहार के जो लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. हम उन्हें वहीं पर मदद पहुंचवा दे रहे हैं. इसके बाद बिहार में जेडीयू और बीजेपी में घमासान मच गई थी.
कोटा में फंसे हुए है सात हजार बिहार छात्र
बता दें कि बिहार करीब 7 हजार से अधिक बिहारी छात्र कोटा में फंसे हुए है और वे लगातार सरकार से घर वापस बुलाने की मांग कर रहे है, लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें वापस बुलाने से इंनकार कर दिया है. एसे में विधायक के बेटी को वापस लाने की इजाजत देने और लाने पर सवाल उठ रहे है. हालांकि आरजेडी ने बिहार सरकार से छात्रों को वापस बुलाने की मांग की थी.